कैमरा- अभय शर्मा
वीडियो एडिटर- प्रशांत चौहान
प्रोड्यूसर और एक्टर - शौभिक पालित
साल 1979 में रिलीज हुई ऋषिकेश मुखर्जी की यादगार कॉमेडी फिल्म 'गोलमाल' में उत्पल दत्त का निभाया हुआ 'भवानी शंकर' का किरदार भला किसे नहीं याद होगा? ये फिल्म हिंदी सिनेमा की कॉमेडी फिल्मों के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई. स्क्रीन पर उत्पल दत्त के नजर आते ही दर्शकों के चेहरे पर हंसी अपने आप फूट जाती है. हिंदी और बांग्ला फिल्मों के जाने माने अभिनेता, लेखक, निर्देशक और रंगकर्मी उत्पल दत्त का जन्म 29 मार्च, 1929 को हुआ. 19 अगस्त, 1993 को उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा.
भले ही दुनिया से विदा लिए उन्हें 2 दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है, लेकिन अपनी दमदार एक्टिंग की वजह से वो आज भी लोगों के दिलों में जिंदा हैं.
तब की ‘गोलमाल’ से अब की ‘गोलमाल’ तक
आज के दौर के कामयाब डायरेक्टर रोहित शेट्टी भी 'गोलमाल' के नाम से चार कॉमेडी फिल्में बना चुके हैं. ये सभी फिल्में कमाई के नजरिए से भी काफी अच्छी रहीं. कल्पना कीजिए अगर आज उत्पल दत्त जिंदा होते, तो अपने जमाने की गोलमाल फिल्म से आज के दौर वाली गोलमाल सीरीज की फिल्मों की तुलना जरूर करते. इसलिए हमने सोचा क्यों न एक ऐसी सिचुएशन बनाई जाए जहां उत्पल दत्त, रोहित शेट्टी की गोलमाल सीरीज की फिल्मों का रिव्यू कर रहे हैं.
उत्पल दत्त कहते हैं - "मुझे भूल तो नहीं गए ना ? हिंदी और बांग्ला फिल्मों में मैंने चालीस साल अभिनय किया. आपका खूब मनोरंजन किया. काफी अच्छा लगता है देखकर कि आजकल फिल्म इंडस्ट्री ने कितनी तरक्की कर ली है...अच्छा है ! लेकिन मुझे आज के दौर की कॉमेडी फिल्मों से बहुत सारी शिकायतें भी हैं." लेकिन शायद उन्हें नए दौर की 'गोलमाल' फिल्मों से थोड़ी नाराजगी है. तभी वो निर्देशक रोहित शेट्टी से कहते हैं -
“बेटा रोहित ! फिल्मों में गाड़ी उड़ाने से अच्छा है कि तुम ह्यूमर की पतंग उड़ाओ...तुम गोलमाल बना रहे हो कि प्रिंटिंग प्रेस में छाप रहे हो, पता ही नहीं चल रहा. हमारे जमाने की गोलमाल में कॉमेडी, सिचुएशन से निकलती थी...अब तो न जाने कहां-कहां से कॉमेडी निकालने की कोशिश हो रही है. गिर गया है कॉमेडी की स्टैंडर्ड.”
उत्पल दत्त को रोहित शेट्टी की बनाई हुई गोलमाल देखकर इतना गुस्सा आता है, कि उनके कान से धुंआ निकलने लगता है. वो रोहित शेट्टी से कहते हैं- “बेटा रोहित ! ये गुस्से से निकला धुआं है...इसको पहचानो और जिन्न बनकर बोतल में वापस घुस जाओ...प्लीज..क्योंकि गोलमाल में मीनिंग नहीं डबल मीनिंग है बस...ये अच्छा नहीं है.”
उत्पल दत्त जब इन फिल्मों को देखते हैं तो उन्हें बहुत तकलीफ होती है और वो रोहित शेट्टी को नसीहत देते हैं - “जितना मर्जी सिनेमा बनाओ, पर गोलमाल बनाने के नाम पर इतना ज्यादा गड़बड़ और गोलमाल मत करो.”
तो जरूर देखिए उत्पल दत्त का ये स्पेशल गोलमाल रिव्यू और आप भी हो जाइए हंस-हंस कर लोटपोट.
ये भी देखें - ‘पद्मावत’- हल्ला जमीं पर,गूंज ‘स्वर्गीय’ Bollywood सितारों तक
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)