मैं साड़ी हूं...
पहले मुझे लगभग 9 गज लंबे कपड़े से बनाया जाता था. महिलाओं और जवान लड़कियों के लिए पीढ़ियों से मुझे विरासत के तौर पर दिया गया.
मैं दिन-ब-दिन प्रसिद्ध होती गई और मैंने अपना जीवन इंडियन टेक्सटाइल्स को समर्पित कर दिया. लेकिन जैसे-जैसे उम्र गुजरती गई इस सोच ने मुझे घेरना शुरू कर दिया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मुझे अपनी सारी जिन्दगी एक बंद ट्रंक में गुजारनी पड़े और मुझे कभी बाहर न निकाला जाए. क्या मैं कुछ और बन सकती हूं? क्या एक बार फिर मुझमें पहले जैसी जान आ सकती है?
लेकिन अब मैं बहुत कुछ बन गई हूं. मुझे काफ्टन्स, नैकलैस, स्कार्फ बना कर नई पहचान मिली है.
पुरानी पारंपरिक साड़ी से अब मैं पूरी दुनिया मे फैशन और स्टाइल के लिए जानी जाती हूं.
प्रोजेक्ट के तहत मिल रही एक नई पहचान
कई डिजाइनरों और कलाकारों ने इन साड़ियों को नई पहचान दी है. यह प्रोजेक्ट एफआईपी रिसर्च कलेक्टिव द्वारा कॉर्प, सूजा, सुई और धागे की मदद से बनाया गया. मुंबई में स्थित एनजीओ शहर के अविकसित इलाके में जाकर महिलाओं को आगे बढ़ाने में सहायता करता है.
इस कलेक्शन को नेटली फ्रॉस्ट ने स्टाइलिश फैशन में पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी द्वारा डिजाइन किया है. मैन्स वियर अलेसेंद्रो मांजी द्वारा, हेड पीस रितारिता द्वारा, ज्वेलरी अन्नामारिया पटेरा और चीरा कैवन्ना और बैग्स मारिया एलिस द्वारा बनाए गए हैं.
स्टोन्स की खूबसूरती की अपनी ही एक दुनिया है. गैरी पठारे ने ज्वैलरी की इस दुनिया को नई पहचान दी है. उन्होंने इंडस्ट्री के वेस्ट प्रोडेक्टस से यह खूबसूरत ज्वैलरी बनाई है.
देखिए वेस्ट प्रोडेक्टस से बनी खूबसूरत ज्वैलरी
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