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धरती पर पहला जीव कैसे आया, परत-दर-परत सुलझी गुत्थी

ये पूरा रिसर्च ये भी साबित कर रहा है कि स्नोबॉल अर्थ, परिकल्पना के तार धरती पर जीवन से जुड़े हुए हैं.

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साइंस
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'अंडा पहले आया या मुर्गी', ये तो मजाक में किया गया सवाल है, लेकिन अब भी दुनिया के सैकड़ों वैज्ञानिक रिसर्च कर रहे हैं कि आखिर धरती पर जीवन कैसे आया? इस लिहाज से वैज्ञानिकों को एक बड़ी कामयाबी हाथ लगी है.

ऑस्ट्रेलियन नेशनल यूनिवर्सिटी के रिसर्च में पता लगाया गया है कि जीवन का विकास 65 करोड़ साल पहले शैवाल (Algae)के उदय के कारण हुआ.

आइए जानते हैं परत-दर-परत की कैसे धरती पर आया जीवन:

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पहले ये जान लीजिए की शैवाल(Algae)क्या होता है?

शैवाल (Algae) को आपने नम दीवारों, तालाब, नदी के किनारे या समंदर के किनारे पर देखा होगा. हरे रंग का ये पौधा बेहद सरल जीव (ORGANISM) है. साइंस की भाषा में इनका वर्गीकरण क्रिप्टोगैम के तौर पर किया गया है यानी ऐसे पौधे जो फूल और बीज नहीं पैदा करते हैं.



ये पूरा रिसर्च ये भी साबित कर रहा है कि स्नोबॉल अर्थ, परिकल्पना के तार धरती पर जीवन से जुड़े हुए हैं.
शैवाल
(फोटो: GIF)

रिसर्च की खास बातें:

इस रिसर्च के दौरान प्राचीन अवसादी चट्टानों (sedimentary rocks) का विश्लेषण किया गया. पहले इन चट्टानों को तोड़कर पाउडर फॉर्म में बदल दिया गया, फिर इसमें से प्राचीन जीवों के अणुओं (Molecules) को निकाला गया.

इन अणुओं (Molecules) से पता चला कि 65 करोड़ साल पहले पूरे इको-सिस्टम में क्रांति हुई थी, शैवाल पैदा हुए थे, बाद में इसी शैवाल के जरिए धरती पर जीवन आ सका. वैज्ञानिक बताते हैं कि इस पूरी प्रक्रिया में स्नोबॉल अर्थ (SnowBall Earth) की अहम भूमिका है.

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SnowBall Earth और जीवन:

स्नोबॉल अर्थ एक ऐसी परिकल्पना है जिसमें माना जाता है कि जीवन से पहले धरती की पूरी सतह बर्फ से जमी हुई थी. 5 करोड़ साल तक धरती इसी अवस्था में रही. इस दौरान बर्फ के पहाड़ धरती को ढंके रहते थे, जिनसे न्यूट्रिएंट्स (एक तरह का पोषक तत्व) निकलता रहता था.



ये पूरा रिसर्च ये भी साबित कर रहा है कि स्नोबॉल अर्थ, परिकल्पना के तार धरती पर जीवन से जुड़े हुए हैं.
जीवन से पहले धरती की पूरी सतह बर्फ से जमी हुई थी
(फोटो: YouTube)
बाद में जलवायु बदला और ग्लोबल हिटिंग (वैश्विक तापमान में बढ़ोतरी) का दौर आया, तब ये बर्फ पिघलने लगी, नदियों के साथ बहकर ये न्यूट्रिएंट्स भी समंदर में आने लगे.

ऐसे में समंदर में भारी मात्रा में न्यूट्रिएंट्स जमा हो गया. धीरे-धीरे जब वैश्विक तापमान में गिरावट आई तो ये परफेक्ट कंडीशन था. इस दौरान न्यूट्रिएंट्स की मौजदूगी से शैवाल तेजी से पनपने लगे. बाद में इन्हीं शैवालों के जरिए धरती पर धीरे-धीरे जीवन का विकास किया.

वैज्ञानिक बताते हैं कि न्यूट्रिशियस जीवों के इस उदय से जो एनर्जी पैदा हुई, उसी एनर्जी ने बाद में कॉम्प्लेक्स इकोसिस्टम को तैयार किया, जिसका नतीजा ये है कि इंसानों और दूसरे कॉम्प्लेक्स जीवों का विकास हुआ.

ये पूरा रिसर्च ये भी साबित कर रहा है कि स्नोबॉल अर्थ, परिकल्पना के तार धरती पर जीवन से जुड़े हुए हैं. बता दें कि इससे पहले के रिसर्च तक हमें मालूम था कि धरती पर जीवन बैक्टीरिया के जरिए ही हुआ, बैक्टीरिया के ही विकास से दूसरे जीवों का उदय हुआ. शैवाल और बैक्टीरिया दोनों ही एक सेल (Cell) वाली संरचना है, बावजूद इसके बैक्टीरिया से ज्यादा कॉम्प्लेक्स शैवाल है.

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