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थोड़ा ट्विस्ट करें तो आज के माहौल पर फिट हैं 6 यादगार विज्ञापन

90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.

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एक विज्ञापन सिर्फ किसी प्रोडक्ट से जुड़ा नहीं होता. वो आपसे-हमसे जुड़ा होता है. हमारे रहन-सहन, माहौल और देश की विविधता की झलक कुछ विज्ञापनों में दिखती है. खासकर, 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.

हमने ऐसे ही कुछ विज्ञापनों को आपके लिए रिक्रिएट किया है. आज के दौर में देश में जो भी हो रहा है, उसके लिए ये सटीक साबित हो सकते हैं और हमारे विविधताओं से भरे इस देश की 'मन की बात' बताते हैं.

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लोकतंत्र में आजादी

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint)

हमारा समाज, कल और आज

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint, Illustration: Arnica Kala/The Quint))

इंडिया...इंडिया...

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint)

बराबरी है अधिकार

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint)

अभिव्यक्ति की आजादी है जरूरी

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint, Illustration: Arnica Kala/The Quint))

साड्डा हक

 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
(Imaging: Aaqib Raza Khan/The Quint)

आपको कौन सा ‘विज्ञापन’ सबसे अच्छा लगा. हमें कमेंट में बताइए.

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