एक विज्ञापन सिर्फ किसी प्रोडक्ट से जुड़ा नहीं होता. वो आपसे-हमसे जुड़ा होता है. हमारे रहन-सहन, माहौल और देश की विविधता की झलक कुछ विज्ञापनों में दिखती है. खासकर, 90 के दशक के विज्ञापन हमारी आकांक्षाओं, देश-समाज-परिवार को लेकर हमारी सोच का आईना सा दिखते हैं.
हमने ऐसे ही कुछ विज्ञापनों को आपके लिए रिक्रिएट किया है. आज के दौर में देश में जो भी हो रहा है, उसके लिए ये सटीक साबित हो सकते हैं और हमारे विविधताओं से भरे इस देश की 'मन की बात' बताते हैं.
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लोकतंत्र में आजादी
हमारा समाज, कल और आज
इंडिया...इंडिया...
बराबरी है अधिकार
अभिव्यक्ति की आजादी है जरूरी
साड्डा हक
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टॉपिक: मोदी सरकार विज्ञापन नागरिकता कानून
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