Bhai Dooj 2023: भाई दूज, दिपावली के पांच दिनों के त्योहार का आखरी दिन होता है. भाई दूज कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाईयों के माथे पर तिलक लगाकर उनकी दिर्घायु और धन संपदा की मनोकामनाएं मांगती हैं. साथ ही कुछ स्थानों पर बेरी पूजन करने का भी रिवाज है. इस त्योहार को कई नामों से जाना जाता है, जैसे भाई दूज या भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया. इस साल यह त्योहार 14 और 15 नवंबर को मनाया जायेगा.
पुराण में लिखा है कि इस दिन यमुना ने अपने भाई यम को अपने घर पर भोजन करने के लिए आमंत्रित किया था. भाई दूज के दिन मृत्यु के देवता यमराज का पूजन भी होता है. आइए जानते हैं कि भाई दूज की परंपरा कैसे शुरू हुई.
क्यों मनाया जाता है भाई दूज?
भविष्य पुराण की मान्यताओं के अनुसार सूर्य और छाया पति-पत्नी थे जिनकी दो संतान यमराज और यमुना थे. यमराज अपनी बहन यमुना को बहुत प्रेम करते थे. यमुना अपने भाई से बार-बार अपने यहां आने का निमंत्रण देती थीं. एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को उन्होंने अपने भाई से घर पर आने का वचन ले लिया. भाई दूज के दिन ही यमराज अपनी बहन यमुना के घर गए थे, इस अवसर पर यमुना ने यमराज को भोजन कराया और तिलक कर उनके आनंदमयी जीवन की कामना की. इसके बाद से ही भाई दूज या यम द्वितीया की परंपरा की शुरुआत हुई. यमराज ने बहन यमुना से खुश होकर वरदान दिया वे हर साल इसी दिन तुम्हारे घर आया करेंगे.
इस दिन यमुना नदी में स्नान का बड़ा महत्व है क्योंकि कहा जाता है कि भाई दूज के मौके पर जो भाई-बहन यमुना नदी में स्नान करते हैं उन्हें पुण्य की प्राप्ति होती है.
कृष्ण और सुभद्रा की कहानी
एक और कथा के अनुसार भाई दूज के दिन ही नरकासुर राक्षस का वध कर श्री कृ्ष्ण द्वारिका लौटे थे. इस दिन श्री कृष्ण की बहन सुभद्रा ने दीये जलाकर उनका स्वागत किया था. सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीर्घायु की कामना की थी. तब से ऐसा माना जाता है भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)