कोरोना पर होली थोड़ा बचकर खेलने में ही भलाई है. खासतौर पर बाहर बिकने बाले जिन रंगों का इस्तेमाल करते हैं उनमें माइका, लेड जैसे हानिकारक रसायनिक मिले होते हैं, जिससे बाल और स्किन रूखी और बेजान हो जाती है. बाल झड़ने लगते हैं. इस बार कैसे रंगों से खेले होली बता रही हैं मशबूर ब्यूटी एक्सपर्ट शहनाज हुसैन-
होली के दौरान बाजार में इको फ्रैंडली रंगों की भरमार आ जाती है, लेकिन अगर इन रंगों से किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आये या रंग पानी में आसानी से न घुलें तो आप इन्हें कतई न खरीदें.
घर में ऐसे बनाएं हर्बल रंग
बेसन में हल्दी मिलाकर पीला हर्बल रंग पा सकते हैं. गेंदे के फूलों के पत्तों को पानी में उबालकर पिचकारी के लिए पीला रंग बना सकते हैं, जबकि गुड़हल फूलों के पत्तों के पाउडर को आटे के साथ मिलाने से लाल रंग बन जाता हैं. पानी में केसर या मेहंदी मिलकर नारंगी रंग बन जाता है. इसी तरह अनार के दाने पानी में मिलाकर गुलाबी रंग का पानी बन जाता है.
कैसे रंगों से खेले होली
होली में उपयोग किये जाने बाले रंगों से त्वचा में एलर्जी, आखों में जलन और पेट की अनेक समस्याएं खड़ी हो जाती हैं. सबसे पहले आप यह कोशिश करें कि आप आर्गेनिक/हर्बल रंगों से ही होली खेलें. लेकिन इन रंगों की पहचान भी जरूरी है.
होली के अगले दिन दो चम्मच शहद को आधा कप दही में थोड़ी सी हल्दी में मिलाएं और इस मिश्रण को चेहरे और सभी खुले अंगों पर लगा लें. इसे 20 मिनट लगा रहने दें उसके बाद साफ ताजे पानी से धो डालें. इससे त्वचा से कालापन हट जाएगा और त्वचा मुलायम हो जाएगी.
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