जब पूरा देश दुर्गा पूजा (Durga Puja) के जश्न में डूबा हो, नवमी (Navami) की सुबह की पूजा के बाद बच्चे शाम में मेला जाने और पंडाल देखने की जिद कर रहे हों, ऐसे में यह चर्चा बंगाल और उसके पूजो भोग के बिना अधूरी है. बेशक भारत में दुर्गा पूजा का किस्सा गुजरात के डांडिया और बनारस की रामलीला के बिना पूरा नहीं हो सकता लेकिन बंगाल आकर इस पर्व का क्रेज अपने उफान पर होता है.
दुर्गा पूजा के लिए बंगाल के इसी क्रेज को बंगाल से दूर दिल्ली में देखने के लिए द क्विंट ने नोएडा सेक्टर 137 दुर्गा पूजा कमेटी द्वारा आयोजित पूजो पंडाल का दौरा किया.
कोविड महामारी के कारण लोगों की भीड़ भले ही यहां कम थी लेकिन एक साल के अंतराल के बाद दोस्तों के साथ ‘दुर्गो पूजो’ मनाने का उत्साह साफ देखा जा सकता है. इस पंडाल में पारंपरिक पूजा भोग ज्यादातर ऑथेंटिक बंगाली शाकाहारी भोजन है.
इस पंडाल में पूजो भोग नदिया जिले से आए रसोइयों द्वारा तैयार किया गया था. नदिया जिला पश्चिम बंगाल में अपनी पारंपरिक विरासत और सांस्कृतिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है.
बसंती पुलाव, शाही पनीर, चना दाल...दुर्गा पूजो भोग की तैयारी कमाल है
केसर, दालचीनी, इलायची जैसे गरम मसलों से सजा बसंती पुलाव का जायका इस पूजो पंडाल के भोग जी जान है. इतना ही नहीं काजू-किशमिश जैसे तमाम ड्राई फ्रूट्स भी इसमें डाले जाते हैं.
इसके साथ है खास मसालों से बना शाही पनीर. हेड कुक, रवि दादा का कहना है कि यह आम पनीर ग्रेवी की तरह नहीं है. दूसरी तरफ आंच पर चढ़ा है ढ़ेर सारे काजू के साथ तैयार होती मीठी चटनी. बंगाल में इसकी दुर्गा पूजा भोग में बड़ी अहमियत है.
नारियल के साथ बना चना दाल इस पूरे व्यंजनों को पूरा करता है. हेड कूक का मानना है कि बसंती पुलाव के साथ इसकी जोड़ी बड़ी जमती है. वैसे दुर्गा पूजा पंडाल में शामिल होने आए हरेक लोग, क्या छोटे-क्या बड़े, सबकी जबान बन “मिष्टी दोही” का नाम जरूर था.
आप सभी को भी नवमी और दशहरा की ढ़ेर सारी शुभकामनाएं. पर्व को परिवार के साथ खूब सेलिब्रेट करें. साथ ही कोविड प्रोटोकॉल का पालन करें और सुरक्षित रहें.
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