रंगों का त्योहार होली (Holi 2022) आखिरकार आ गया है और सब लोग गुलाल-अबीर सराबोर हो गए हैं. हर त्योहार की तरह होली भी अपने साथ ले आती है ललीज खाने और सही मायने में फूडीज के लिए मन को तृप्त करने का शानदार मौका. घर में तैयार गुजिया के साथ ठंडई मिल जाए और साथ में होली के गाने- आह! फिर तो जिंदगी गुलजार लगती है. लेकिन आज हम आपको घर बाहर ले चलते हैं.
आइए होली के स्पेशल स्ट्रीट फूड की तलाश में द क्विंट की गुरलीन कौर के साथ दिल्ली घुमते हैं.
पहला पड़ाव: न्यू राज कचोरी भंडार की ‘करारी कचौरी’
पुरानी दिल्ली की मशहूर कचौरी अब तिलक नगर में भी मिल रही है. यहां दो तरह की कचौरी मिलती है. एक पतली जो ज्यादा कुरकुरी होती है दूसरी बड़ी वाली जिसमें ज्यादा भरावट होती है. 20 से 35 रूपए एक प्लेट के लिए खर्च होते हैं लेकिन तीखी कड़ी के साथ गरमा गरम कचौरी होली के दिन का शानदार नाश्ता है.
दुसरा पड़ाव: जीत भल्ले के ‘दही भल्ले’
पश्चिमी दिल्ली में जीत भल्ले अपने शानदार ठंडे ठंडे दही भल्लों के लिए मशहूर है. ‘जीत भल्ले’ शॉप गायत्री की है. 12 साल से भी ज्यादा समय से अपने पति के देहांत के बाद से ही गायत्री ये शॉप चला रही हैं.
यहां आप दही भल्ले खाइए. ठंडे दही, मसालों और तीखी चटनी से भरी हुई पूरी प्लेट. सबसे शानदार बात कि मुंह में रखते ही घुल जाने वाले भल्ले और कुरकुरी पपड़ी का स्वाद देर तक बना रहता है.
तीसरा पड़ाव: हकीम छोटे लाल श्री राम जैन की ‘ठंडाई’
पुरानी दिल्ली में ये छोटी सी दुकान 1861 से चल रही है. बाप-बेटे की जोड़ी इस दुकान की मालिक है जो जायके की विरासत को संभाले हुए है. इलायची, खस-खस और केसर जैसे प्राकृतिक घटकों से ठंडाई बनती है. इनकी ठंडाई का सबसे खास हिस्सा सफेद मिर्च जो आपके गले को एक आरामदायक अनुभव कराती है. ठंडाई के साथ साथ यहां खस-खस, गुलाब और केसर के शरबत भी मिलते हैं.
चौथा पड़ाव: कुंवर जी की मिठाई की दुकान
क्योंकि मिठाई के बिना होली का क्या मतलब?
ये दुकान पराठे वाली गली की शुरुआत में है. यहां हमने, चाशनी में डूबी हुई गुझिया से लेकर, चंद्रकला, हरे चने का लड्डू और चुकंदर और पालक मठरी सब खाया.
इनकी गुलाब की गुजिया तो जरूर हम आपको सजेस्ट करेंगे.
कुंवर जी की दुकान पर होली की मिठाइयां और सेवइयां खाने के बाद हमारी होली के स्पेशल स्ट्रीट फूड की तलाश पूरी हुई.
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