चीन की सलाह और सिफारिश पर नवंबर, 2019 में आयोजित 74वें संयुक्त राष्ट्र महासभा में हर साल 21 मई को अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया गया। यह दिवस सिर्फ चाय से ही संबंधित नहीं है, बल्कि इसका एक मकसद चाय उत्पादकों और चाय मजदूरों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कोशिश करना भी है।
दुनिया के पांच प्रमुख चाय उत्पादक देश चीन, भारत, केन्या, श्रीलंका और वियतनाम के अलावा इंडोनेशिया, मलेशिया, दक्षिण अफ्रीका, रूस, बांग्लादेश आदि देशों में भी अंतरराष्ट्रीय चाय दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के मौके पर चाय मजदूरों की काम की स्थिति, मजदूरों के अधिकार, दिहाड़ी, सामाजिक सुरक्षा, रोजगार सुरक्षा और स्वास्थ्य को लेकर चर्चा को भी प्रोत्साहित किया जाता है। यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसके माध्यम से चाय उत्पादक देशों में चाय मजदूरों के योगदानों पर प्रकाश डाला जाता है। इसके अलावा चाय संस्कृति का जश्न मनाने का भी यह एक दिन है।
अगर हम चाय के इतिहास के बारे में देखें, तो कहेंगे कि चीन में चाय पीने का इतिहास करीब 4000 साल पुराना है, जब चिन और हान राजवंशों के दौरान चाय को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जाने लगा था और 2,000 से अधिक वर्षों पुराना लिखित रिकॉर्ड है। फिर छठी शताब्दी में चाय पीने की परंपरा चीन से जापान पहुंची। इसके बाद चाय उगाने, प्रसंस्करण और पीने की परंपरा पूरी दुनिया तक फैल गई और आज चाय दुनिया के तीन प्रमुख पेय में से एक बन गयी है।
आंकड़ों के मुताबिक दुनिया भर में 60 से अधिक चाय उत्पादक देश और क्षेत्र हैं, जिनका कुल चाय उत्पादन करीब 60 लाख टन है, जिनमें व्यापार किए जाने की कुल मात्रा 20 लाख टन से अधिक है, और विश्व भर में चाय पीने वाली आबादी 2 अरब से अधिक है। फिलहाल चाय कई देशों की राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था और स्थानीय नागरिकों की आजीविका से संबंधित एक महत्वपूर्ण उद्योग बन गयी है। साथ ही, कई कम विकसित देशों में चाय वहां की सबसे महत्वपूर्ण नकदी फसल के रूप में लाखों गरीब परिवारों के लिए आजीविका का मुख्य साधन है और यह कुछ सबसे गरीब देशों के लिए आय और निर्यात का मुख्य स्रोत भी है। ऐसा कहा जा सकता है कि चाय उद्योग कई अविकसित देशों और क्षेत्रों में गरीबी उन्मूलन का एक महत्वपूर्ण साधन बन चुकी है।
जैसे भारत की तरह, एक प्रमुख चाय उत्पादक, निर्यातक और उपभोक्ता देश के रूप में, चीन और भारत दोनों देशों की अर्थव्यवस्था में चाय का महत्वपूर्ण स्थान है। विशेष रूप से इधर के कई वर्षों में मशीनीकरण के कारण विश्व बाजार में इनकी उल्लेखनीय और महत्वपूर्ण भागीदारी बन चुकी है। हालांकि दोनों देशों के बीच चाय उत्पादों और चाय पीने की संस्कृति में कुछ अंतर मौजूद है। फिर भी चाय उद्योग के विकास, चाय मजदूरों की आय में वृद्धि और आर्थिक एवं सामाजिक विकास में दोनों देशों में कुछ समानताएं भी हैं। इसलिये दोनों देशों में चाय संस्कृतियों के एकीकरण और आपसी सीखने का बड़ा अवसर है। साथ ही, चाय उद्योग के समन्वित विकास और संयुक्त रूप से चाय मजदूरों के हितों की रक्षा करने के लिए एक प्रभावी उपाय ढूंढने का अवसर भी है। ताकि विकासशील देशों में ग्रामीण विकास, गरीबी उम्मूलन और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकें।
(लेखक:ल्याओ चियोंग, चाइना मीडिया ग्रुप, पेइचिंग)
--आईएएनएस
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