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पेट नहीं दिमाग पैदा करता है जब-तब खाने की तड़प 

याद रखिए कि भूखा होना और खाने को तरसना एक ही बात नहीं है

Published
जायका
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सुबह के 10 बजे हैं. लगता है कि डबल चॉकलेट ब्राउनी की ख्वाहिश पूरी हो जाए तो जन्नत मिल जाए. दोपहर के खाने के बाद यह ख्वाहिश इतनी बलवती होने लगती है कि आपका दिमाग सिर्फ इसी के बारे में लगातार सोचने लगता है और जब तक आप इसके सामने समर्पण नहीं कर देते और जो यह मांग रहा है, तब तक चैन नहीं पड़ता .

...आहा… ब्राउनी को छोड़ा नहीं जा सकता.

यह हम सबके साथ होता है.

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आलू चिप्स का नमकीन स्वाद , चॉकलेट का नरम अहसास, केक का गाढ़ापन या पिज्जा का चिकनापन...... बता पाना मुश्किल है कि इस तरह के फूड्स क्यों इतने लुभावने होते हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि खाने की तड़प शरीर की किसी तरह की कमियों या कुछ बीमारियों की तरफ इशारा करती है. तो वो कौन सी चीज है जो आपकी 10,000 स्वाद ग्रंथियों की तृष्णा को जगा देती हैं, हालांकि आप भूखे भी नहीं होते?

सोच का असर

याद रखिए कि भूखा होना और खाने को तरसना एक ही बात नहीं है
हम खाने को तरसे जा रहे हैं. याद रखिए कि भूखा होना और खाने को तरसना एक ही बात नहीं है. भूख को शरीर नियंत्रित करता है जबकि खाने की तड़प को दिमाग.
(फोटो: iStock)

आप रात को नेटफ्लिक्स पर मूवी देखने का मूड बनाकर बैठे हैं और तभी पता नहीं कहां से क्या होता है कि आप कोक के साथ चीज़ से भरा पिज्जा चाट-चाट कर खत्म करने लगते हैं. यह कैसे हुआ?

समस्या है ‘ब्रेन कंडीशनिंग (दिमाग का अनुकूलन)’. इसका सटीक उदाहरण है पालवोव का डॉगी. आपकी याद को ताजा करते हुए बता दें कि इवान पावलोव एक रूसी वैज्ञानिक थे, जिन्हें पाचन प्रक्रिया पर किए गए काम के लिए एक सदी पहले नोबेल पुरस्कार मिला था. कुत्तों पर पर प्रयोगों की श्रृंखला में पावलोव ने पाया कि खाने की तड़प दिमाग के अनुकूल का नतीजा है और यह शारीरिक प्रतिक्रिया से ज्यादा मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया है.

इसका अर्थ है कि खाने की तड़प साधारण भूख से अलग है.

मैंने नोट किया है कि- जब मैं मशहूर अदालती सीरियल Suits देखने बैठती हूं तो मन में मंच पॉपकॉर्न और डायट कोक की एक बेकाबू ख्वाहिश पैदा होती है. यह रात के खाने के बाद होता है, मैं भूखी नहीं हूंऔर यह सप्ताहांत भी नहीं है, लेकिन वजह चाहे जो भी मैंने अपने दिमाग का उस खास शो के साथ खास फूड के लिए अनुकूलन कर लिया है. बिल्कुल यह इतना ही आसान है. बेशक यह बहुत आसान है, मगर इस आदत को छोड़ पाना बहुत मुश्किल है.

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खाने की तड़प दिमाग के मेमोरी सेंटर से जुड़ी होती है. ज्यादा फैट, ज्यादा शुगर, प्रोसेस्ड फूड दिमाग में उन्हीं रिवार्ड सेंटर(पुरस्कार केंद्र) को सक्रिय और परिवर्तित करते हैं, जो शराब और ड्रग्स से प्रभावित होते हैं. आपके पास दुनिया की कितनी ही मजबूत इच्छाशक्ति हो, लेकिन अगर दिमाग का रिवार्ड सेंटर इस तरह से सक्रिय हो गया है कि हर अच्छी खबर के साथ डोनट खाना चाहता है तो आप तड़प के सागर में डूब रहे होंगे और सारी इच्छाशक्ति के साथ इससे निकलने को जूझ रहे होंगे.

यह हमेशा जरूरी नहीं कि खाने की तड़प जांच का सबसे अच्छा तरीका है, लेकिन कुछ मामलों में यह इस बात का सूचक है कि आपके शरीर को कुछ खास पोषक तत्वों की जरूरत है.

क्या आपको शुगर की ख्वाहिश होती है?

याद रखिए कि भूखा होना और खाने को तरसना एक ही बात नहीं है
हम बताते हैं कि आपके साथ क्या गड़बड़ है.
(फोटो: Tumblr/CLAIREDEKAT)

मुझे सिर्फ प्यार, शांति, हमदर्दी और अपने सिर से बड़ी एक चॉकलेट चाहिए. यह लिखावट है मेरे बेडरूम में लगे एक पोर्ट्रेट की. क्या आपकी भी ऐसी ही ख्वाहिश है? क्या आपके पीरियड्स चल रहे हैं, आप प्रेगनेंट हैं या आपका बच्चा मां का दूध पीता है?

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मीठी चॉकलेट और कप केक में फैट्स और शुगर बहुत ज्यादा होता है, लोगों में इन्हें खाने की तड़प तब होती है, जब लोगों को लगता है कि इन्हें खाना ठीक होगा. ये आपके दिमाग में सेरोटटोनियन स्तर बढ़ादेते हैं, जो आपका मूड अच्छा करता है, जोश बढ़ाता है, पीरियड्स आने से पहले उग्र हार्मोंस या किसी भी बात पर उलझने की प्रवृत्ति को शांत करता है.

असमान शुगर लेवल भी, जो ज्यादातर कार्बोहाइड्रेट्स से भरपूर डाइट का नतीजा होता है, खाने के बाद भूख की तड़प का कारण हो सकता है. तो प्याले भर स्पाघेट्टी की ख्वाहिश जाग सकती है, लेकिन सब्जियों और प्रोटीन से भरा खाना इसमें कमी ला सकता है.

नमकीन की ख्वाहिश

याद रखिए कि भूखा होना और खाने को तरसना एक ही बात नहीं है
क्या आपके शरीर में पानी की कमी हो गई है?
(फोटो: Tumblr/WAYWAW)

प्यास कई बार खुद को नमकीन फूड की भूख में छिपा कर आती है, क्योंकि नमक पानी को संचित करने में मदद करता है. तो आप चेक कीजिए कि रोजाना कम से कम 8-10 गिलास पानी पी रहे हैं या नहीं.

चिप्स, फ्राइज की ख्वाहिश की वजह भी स्ट्रेस (दबाव) हो सकता है. अध्ययन बताते हैं कि प्रेटजेल या चिप्स खाने पर पैदा होने वाली कड़क की आवाज स्ट्रेस को शांत करने में मदद करती है. यूनिवर्सिटी ऑफ ऊटा का एक शोध बताता है कि जो लोग ध्यान करते हैं उनका स्ट्रेस हार्मोंस 30 फीसद तक कम हो जाता है, और अनियंत्रित खान-पान में आधे की कमी आ जाती है.

क्या है इलाज

पूरी तरह संतुलित डाइट के लिए ज्यादा गंभीर प्रयास कीजिए. क्यों? क्योंकि खाना कम कर देना या वजन घटाने वाली अधकचरी चीजों पर निर्भर होने से आपके शरीर में पोषक तत्वों की कमी हो जाएगी और फिर आप खाने की अति की ओर चले जाएंगे.

खाने की तड़प को शांत करने का रामबाण नुस्खा है, बड़े गिलास से पानी पीजिए. दफ्तर जाने वाले 80 फीसद लोग नियमित रूप से पानी की कमी का शिकार होते हैं. तो खाने के लिए जाने से पहले पानी से प्यास बुझाइए. फिर इसके बाद आधे घंटे इंतजार कीजिए. ज्यादा उम्मीद है कि वह चली जाएगी.

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