समाजसेवी और मराठी कवयित्री सावित्री बाई फुले का 3 जनवरी को 186वां जन्मदिन है. इस मौके पर गूगल ने श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें अपने होम पेज पर दिखाया है.
गूगल के डूडल में सावित्री बाई अपने आंचल में कई महिलाओं को समेटती नजर आ रही हैं.
सावित्री बाई ने पहले खुद स्कूल जाकर शिक्षा ग्रहण की. इसके बाद उन्होंने दूसरी महिलाओं को भी इसके लिए प्रेरित किया.
महिलाओं को नहीं थी पढ़ने की आजादी
सावित्री बाई का जन्म महाराष्ट्र में स्थित सतारा के गांव नायगांव में 3 जनवरी, 1831 को हुआ था. उस समय देश अंग्रेजों का गुलाम था. महिलाओं को पढ़ने-लिखने की आजादी नहीं थी. लेकिन सावित्री ने हिम्मत जुटाकर अपनी पढ़ाई पूरी की.
उस दौर में सावित्री ने केवल अपनी पढ़ाई ही पूरी नहीं की, बल्कि दूसरी महिलाओं को शिक्षित बनाने के लिए कई स्कूल भी खोले.
महिला शिक्षा विरोधी लोग फेंकते थे पत्थर
सावित्री को स्कूल जाते समय कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. महिला शिक्षा विरोधी लोग सावित्री पर पत्थर और गंदगी फेंकते थे. इसलिए वह हमेशा अपने एक साड़ी एक्स्ट्रा रखती थीं और स्कूल पहुंचकर साड़ी बदल लिया करती थीं.
9 साल की उम्र में ही सावित्री बाई का ज्योतिबा फुले के नाम व्यक्ति से विवाह हो गया था. उसके बाद उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर महिलाओं के खिलाफ हो रहे कई अत्याचारों, जैसे छुआछूत, सतीप्रथा, बाल-विवाह, विधवा विवाह के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी.
सावित्री बाई फुले का 10 मार्च, 1897 को निधन हो गया.
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