Constitution Day 2023: संविधान दिवस (samvidhan divas) हर साल 26 नवंबर के दिन मनाया जाता है. 1949 में आज ही के दिन भारत की संविधान सभा ने औपचारिक रूप से भारत के संविधान को अपनाया जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ. सरकार ने 19 नवंबर, 2015 को राजपत्र अधिसूचना की सहायता से 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में घोषित किया था.
संविधान में लिखा है कि भारत का कोई आधिकारिक धर्म नहीं होगा. यह ना तो किसी धर्म को बढ़ावा देता है और ना ही किसी से भेदभाव करता है. हाथों से लिखे गए संविधान पर 24 जनवरी 1950 को हस्ताक्षर किए गए थे. इस पर 284 सांसदों ने हस्ताक्षर किए थे, जिनमें 15 महिला सांसद थीं. इसके बाद 26 जनवरी से ये संविधान पूरे देश में लागू हो गया.
हमारे देश के संविधान के निर्माण में डॉ. भीमराव अम्बेडकर का सबसे प्रमुख रोल था, इसलिए संविधाव दिवस उन्हें श्रद्धाजंलि देने के प्रतीक के रूप में भी मनाया जाता है. आज संविधान दिवस के अवसर पर हम आपके लिए बाबा साहेब अम्बेडकर के कुछ बेहतरीन कोट्स मैसेज लेकर आए है जिन्हें आप अपनों के बीच शेयर कर सकते हैं.
Constitution Day Important points: संविधान दिवस की प्रमुख बातें
भारतीय संविधान को तैयार करने के लिए एक संविधान सभा का निर्माण किया गया था.
इस सभा के स्थायी अध्यक्ष डॉ. राजेंद्र प्रसाद चुने गए थे.
संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने, 18 दिन में कुल 114 दिन बैठक की.
इसकी बैठकों में शामिल होने के लिए जनता और प्रेस को पूरी स्वतंत्रता थी.
भारत का संविधान विश्व के किसी भी गणतांत्रिक देश का सबसे लंबा लिखित संविधान है.
इसमें 465 अनुच्छेद, 12 अनुसूचियां हैं. यह 22 भागों में विभाजित है.
Best Motivational Quotes by Dr B R Ambedkar in Hindi
“शिक्षित बनो, संगठित रहो, संघर्ष करो”
“जीवन लम्बा होने की बजाये महान होना चाहिए”
“एक सुरक्षित सेना एक सुरक्षित सीमा से बेहतर है”
“बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए”
“मेरे नाम की जय-जयकार करने से अच्छा है, मेरे बताए हुए रास्ते पर चलें”
“मैं ऐसे धर्म को मानता हूँ जो स्वतंत्रता, समानता, और भाई-चारा सीखाये”
“यदि हम आधुनिक विकसित भारत चाहते हैं तो सभी धर्मों को एक होना पड़ेगा”
“किसी भी कौम का विकास उस कौम की महिलाओं के विकास से मापा जाता हैं”
“मैं एक समुदाय की प्रगति को उस प्रगति की डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की है”
“एक महान आदमी एक प्रतिष्ठित आदमी से इस तरह से अलग होता है कि वह समाज का नौकर बनने को तैयार रहता है”
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