मर्दों की शान और पहचान दोनों मूछें ही होती हैं. लेकिन जब महिला के होठ के ऊपर बाल आ जाते हैं तो उनकी खूबसूरती कम हो गई मानी जाती है. इसी वजह से महिलाएं उन बालों को हटा देती हैं. लेकिन आज आपको एक ऐसी महिला के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपनी मूछों को लेकर सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
आपको बता दें कि केरल के कुन्नूर की रहना वाली 35 साल की शायजा (Shyja, Keral) को मूछें (Shyja Moustache) रखना बेहद पसंद हैं. उन्होंने अपनी मूछों को कभी हटवाना जरूरी नहीं समझा है. शायजा अपनी मूछों से प्यार भी करती हैं. शायजा अपनी मूछों की वजह से सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं.
अपनी मूछों को लेकर शायजा ने दिया बयान
आपको बता दें कि शायजा ने BBC के साथ एक इंटरव्यू में कहा कि " मैंने कभी नहीं माना कि मैं सुंदर नहीं हूं, क्योंकि ये मेरे पास है या मेरे पास कुछ ऐसा है जो नहीं होना चाहिए," उन्होंने आगे बताया कि " कैसे उन्हें महामारी के वक्त मास्क पहनना बेहद खराब लगता था, क्योंकि मास्क से उनकी मूछें छिप जाया करती थीं. मुझे अपनी मूछों से बेहद प्यार है, मैं अब इनके बिना जीने के बारे में सोच भी नहीं सकती हूं."
ऐसे वक्त में जब ज्यादातर महिलाएं लिंग रूढ़ियों को लगातार तोड़ रही हैं और शरीर के बालों को अपना रही हैं, तब शायजा ने मूछों को रखने का फैसला लिया और कई लोगों के लिए एक प्रेरणा बनकर उभर रही हैं. इतना ही नहीं बल्कि जिस तरह से लोग इस फैसले से प्रभावित हुए हैं और उनके इस फैसले की तारीफ कर रहे हैं.
शायजा कई बार करवा चुकी है सर्जरी
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक शायजा कई बार सर्जरी (Surgury) करवा चुकी हैं. उन्होंने सबसे पहले अपनी ब्रेस्ट में एक गाठ की सर्जरी करवाई और दूसरी अंडाशय को हटवाने की सर्जरी करवाई थी. शायजा कुछ गंभीर बीमारियों से जूझ रही हैं. इन्होंने करीब 5 साल पहले हिस्टरेक्टोमी का भी सामना किया है. शायजा ने पिछले कुछ सालों में लगभग 6 सर्जरी करवाई हैं.
उन्होंने कहा है कि जब हर बार मैं सर्जरी करवा कर बाहर निकलती थी, तो मुझे फिर कभी ऑपरेशन थिएटर में वापस न जाने की उम्मीद लगी रहती थी.
आपको बता दें कि शायजा का जन्म एक पितृसत्तात्मक परिवार में हुआ. बाद में शायजा शादी करके अपने पति के साथ तमिल नाडु (Tamil Nadu) में शिफ्ट तब उन्हें आजादी का अहसास हुआ. उन्होंने बताया कि मुझे अपनी जरूरत की चीजों को लेने के लिए अकेले दूर तक जाना पड़ता था, और कभी कभी तो देर रात तक निकालना पड़ता था. धीरे धीरे फिर मैंने चीजों को अपने दम करना सीख लिया, इन सबसे मेरा और विश्वास बढ़ता गया.
एक तरह से ये उनकी हिम्मत और निडरता है कि वह क्या बनना चाहती है? और वह क्या दिखना चाहती? इन सबसे इनको काफी मदद भी मिलती है.
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