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अकेली लड़की और किराए का मकान: कैसा हो मकान मालिक?

भारतीय समाज लड़कियों के सिंगल होने को लेकर सहज नहीं है. मकान मालिक लड़कियों की निजी जिंदगी में ताक-झांक न ही करें.

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किराए का मकान न मिलने की कई वजहें हो सकती हैं. जैसे कि अगर आप मुसलमान हैं, तो गैर मुसलमान मकान मालिक आपको आसानी से घर नहीं देंगे. ध्यान रहे कि दिल्ली की 70 फीसदी हाउसिंग सोसायटी में एक भी मकान मालिक मुसलमान नहीं है, जबकि दिल्ली की 13 फीसदी आबादी मुसलमानों की है.

मुंबई में सैकड़ों सोसायटी ऐसी हैं, जहां अगर आप मांसाहारी हैं और मांसाहारी बने रहना चाहते हैं, तो आपको मकान नहीं मिलेगा. कुछ मकान मालिक बिहारियों को मकान नहीं देना चाहते, तो कुछ पंजाबियों को, तो कुछ तमिलियन को. कुछ लोग वकीलों को घर नहीं देते, तो कुछ पत्रकारों और पुलिसवालों से कतराते हैं.

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ये सब वो वजहें हैं, जिनका जिक्र आम तौर पर किराए के विज्ञापनों में नहीं होता. यह सब अघोषित नियम और परंपराएं हैं. प्रॉपर्टी डीलर आपको यह सब समझा देगा. लेकिन घर न देने की एक कटेगरी वह है, जिसका जिक्र बाकायदा विज्ञापनों में होता है. वह है कि ‘मकान सिर्फ फैमिली वालों को’ देना है.

किराए पर मकान दिलाने वाली तमाम वेबसाइट पर आप यह देख सकते हैं कि सिंगल किराएदार को प्रेफर नहीं किया जाता. सिंगल में भी अगर आप लड़की हैं और देश के किसी भी महानगर या शहर में किराए का मकान चाहिए, तो आप मुसीबत में हैं. आपको आसानी से घर नहीं मिलेगा.

आपको मकान किराए पर लेने के लिए झूठ बोलना पड़ सकता है, नकली पति या भाई लाना पड़ सकता है, पिता को पेश करना पड़ सकता है.

दिल्ली में किराए का मकान लेने का राधिका झा का अनुभव

इस बात का अनुभव कुछ साल पहले राधिका झा को दिल्ली में किराए का मकान लेते समय हुआ. वो अमेरिका से पढ़कर आई थीं और दिल्ली में रहने के लिए मकान ढूंढ रही थीं. वो किराया देने को तैयार थीं, लेकिन लगभग हर प्रॉपर्टी डीलर ने उनसे यही कहा कि मैडम, सिंगल लड़की को लोग किराए पर मकान नहीं देना चाहते.

ऐसे ही एक मकान मालिक से बातचीत करते समय जब राधिका ने पूछा कि आप मुझे मकान क्यों नहीं देना चाहते, जबकि मेरे मामले में तो घर पर कब्जा होने का कोई डर ही नहीं है, क्योंकि शादी होते ही मैं तो यह घर खाली कर दूंगी. इस पर मकान मालिक का जवाब था- अकेली लड़कियां खतरनाक होती हैं. राधिका झा ने जब ‘बरसाती डेज’ लिखी थी, तब से हालात कुछ बेहतर हुए हैं, पर बहुत कुछ अब भी वैसा ही है.

दरअसल भारतीय समाज अब भी लड़कियों के सिंगल होने को लेकर सहज नहीं है. शादी भारतीय समाज की सबसे महत्वपूर्ण संस्था है और आम मान्यता है कि जिस लड़की की भी उम्र शादी करने की हो गई, उसकी शादी हो जानी चाहिए और उसे शादी में बंधा होना चाहिए, वरना वह ‘अच्छी लड़की’ नहीं है.

अगर कोई लड़की शादीशुदा होने की उम्र में सिंगल है, तो समाज खासकर पुरुष समाज उसे कई नजरिए से देख सकता है. मिसाल के तौर पर:

  1. लड़की में कोई खोट है, शादी नहीं हो पा रही है.
  2. लड़की कैरेक्टरलेस है. पता नहीं, क्या-क्या करती होगी.
  3. लड़की आजाद है, मेरे साथ भी सो सकती है.
  4. लड़की लेस्बियन है… यह लिस्ट लंबी हो सकती है.

अमेरिका और यूरोप में जिस तरह से सिंगल महिलाओं की संख्या, शादीशुदा महिलाओं से ज्यादा हो चुकी है और समाज इसे लेकर सहज होता जा रहा है, उस बदलाव को भारत में आने में शायद अभी समय लगेगा. ऐसा होने तक, कहने को भारतीय महानगर बेशक मॉडर्न हो गए हैं, लेकिन सिंगल लड़कियों को 'खतरनाक' माना जाता रहेगा.

अमेरिका में अब 12.5 करोड़ वयस्क लोग सिंगल हैं. यह संख्या शादीशुदा लोगों से ज्यादा है. यूरोप भी इसी रास्ते पर है. लेकिन एशियाई देशों में शादीशुदा होना ही सामान्य स्थिति है. अगर विवाहित होने की उम्र में अविवाहित हैं, तो आप नॉर्मल नहीं हैं. किराए पर मकान देने वाले इस बात से डर सकते हैं कि ऐसी ‘बुरी’ लड़कियों का असर उनके अपने परिवार की लड़कियों पर न हो जाए.
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अकेली गैर-शादीशुदा महिला या लड़की एक ऐसी कटेगरी है, जिसे मकान देने को लेकर मकान मालिकों में कई तरह की धारणाएं हैं. इस वजह से वो न सिर्फ लड़कियों को मकान देने से हिचकते हैं, बल्कि कई तरह की पाबंदियां भी उन पर लगाते हैं. मकान देने से पहले पूछे जाने वाले सवाल इस बात को दर्शाते हैं कि महिलाओं को लेकर समाज में कैसी मान्यताएं हावी हैं. अक्सर एक शक वाली निगाह इन लड़कियों को लगातार घूरती रहती हैं, जो मकान मालिक के प्रत्यक्ष रूप से सामने न होने पर भी होती हैं. मकान मालिक इन फ्लैट का औचक निरीक्षण जैसी हरकत भी करते हैं.

राधिका झा का अनुभव तो यह है कि उनका मकान मालिक एक रोज आधी रात को डुप्लिकेट चाबी से घर के अंदर घुस आया और कहने लगा, “तुम जब दूसरे मर्द के साथ दोस्ती कर सकती हो, तो मेरे साथ दोस्ती करने में क्या दिक्कत है. मैं आज रात फ्री हूं.” राधिका को उस रात नंगे पांव भागकर अपनी आत्मरक्षा करनी पड़ी.

किसी लड़की के लिए ड्रीम मकान मालिक कैसा हो?

पहले तो मकान मालिकों को समझना होगा कि सिंगल लड़कियों को मकान किराए पर देना एक सामान्य बात है. खासकर महानगरों में प्रोफेशनल वर्कफोर्स में लड़कियों की संख्या बढ़ रही है और उनमें बड़ी संख्या सिंगल लड़कियों की है. यानी ये लड़कियां अब शहर में हैं और उन्हें मकान तो हर हाल में चाहिए. उन्हें मकान देने के कई फायदे हैं:

  1. सिंगल लड़कियां मकान पर कब्जा नहीं करेंगी. मतलब कि ऐसी आशंका कम होगी.
  2. वो दारू पीकर दंगा करें, इसका डर कम होगा.
  3. वो मकान मालिक के परिवार या अन्य किराएदारों के परिवारों की लड़कियों के साथ छेड़खानी या यौन शोषण या उत्पीड़न नहीं करेंगी.
  4. वो लड़कों के मुकाबले शालीन होंगी. शायद ज्यादा साफ-सुथरा भी रहेंगी.
  5. अमेरिका का अनुभव है कि लड़कियों में वित्तीय अनुशासन ज्यादा होता है. इसलिए माना जा सकता है कि किराया समय पर देने में भी लड़कियों का रेकॉर्ड अच्छा होगा.
अब जबकि लड़कियों को मकान देना इतना फायदेमंद है, तो मकान मालिकों को भी कुछ बातों का खयाल रखना चाहिए. वरना कहीं ऐसा न हो कि आप लड़कियों को मकान किराए पर देना चाहते हैं, लेकिन लड़कियां आपके मकान में रहना ही न चाहें. मकान मालिकों को इन बातों का ध्यान रखना चाहिए:
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  1. मकान सुरक्षित होना चाहिए. लड़कियों को मकान किराए पर देना है, तो मकान मालिक को सुनिश्चित करना होगा कि वहां लड़कियां सुरक्षित हैं. यह गारंटी करें कि बालकनी के नीचे लफंगे न खड़े रहें.
  2. रात में लड़की घर लौटे, तो एंट्री पॉइंट सुरक्षित होने चाहिए. रोशनी का अच्छा बंदोबस्त रखें.
  3. सीसीटीवी का बंदोबस्त होना चाहिए. लेकिन घर के एंट्री पॉइंट पर ही. बाथरूम में सीसीटीवी लगाने जैसी हरकत कतई न करें. एक बार घर बदनाम हुआ, तो न सिर्फ आप जेल में होंगे, बल्कि आपके घर में कोई रहने भी नहीं आएगा.
  4. किराएदार लड़कियों की निजी जिंदगी में ताक-झांक न करें. लड़की सिंगल है, हो सकता है कि अपने पार्टनर के साथ सेक्स करती हो, जिसका अधिकार उसे कानून में भी है. लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि आपके साथ भी सोएगी. उसका अपनी देह पर अधिकार है. वह फैसला करेगी.
  5. उसके कमरे में कौन आ रहा है, इससे कम ही मतलब रखें. यह उसकी निजी जिंदगी है. पंगेबाज और नाक घुसेड़ने वाले मकान मालिक न बनें. बदनामी होगी.
  6. कपड़े सुखाने का अच्छा बंदोबस्त करें.
  7. घर में खाने की अच्छी चीज बनें, तो किराएदार के साथ शेयर करें!

मकान मालिक की जगह जब मकान मालकिनें ले लेंगी, तो उम्मीद है कि हालात में कुछ सुधार होगा.

(लेखिका भारतीय सूचना सेवा में अधिकारी हैं. इस आर्टिकल में छपे विचार उनके अपने हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है)

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