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Lohri 2022: लोहड़ी का महत्व, तिथि व सुने दुल्ला-भट्टी की कहानी

Lohri 2022: लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी से जोड़कर मनाया जाता है.

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Lohri 2022: लोहड़ी भारत का एक लोकप्रिय त्यौहार है. इस त्यौहार को मुख्य रूप से सिख समुदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है. इस पर्व को हिन्दु धर्म के लोग भी हर्षोल्लाष के साथ मनाते हैं. इस त्योहार की खास रौनक पंजाब में देखने को मिलती है.

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लोहड़ी के इस त्यौहार को मकर संक्रान्ति से एक दिन पहले मनाया जाता है. इस साल लोहड़ी (Lohri) का त्योहार हर साल 13 जनवरी को मनाया जा रहा है. लोहड़ी को लाल लोई के नाम से भी जाना जाता है. लोहड़ी को फसलों का त्योहार माना जाता है. इस समय फसलों की कटाई की जाती है. लोहड़ी पर विशेष रुप से गन्ने की कटाई की जाती है.

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Lohri की आग में अर्पित करते गजक

लोहड़ी के दिन गोलाकार में लकड़ियों का ढ़ेर बनाकर आग जलाई जाती है. शाम के समय लकड़ियों को जलाकर आग के आसपास लोग नाचते-गाते हैं और लोहड़ी की आग तपाते हैं. लोहड़ी की आग में गजक और रेवड़ी अर्पित करना शुभ माना जाता है.

हिंदु शास्त्रों के अनुसार, अग्नि में अर्पित की गई सामग्री देवताओं तक पहुंचती है. लोहड़ी की पवित्र आग में मूंगफली, तिल के लड्डू और रेवड़ी के अलावा गजक को भी अर्पित किया जाता है. इस सामग्री को तिलचौली कहते हैं.

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लोहड़ी मनाने के पीछे की कथा

लोहड़ी का त्योहार दुल्ला भट्टी से जोड़कर मनाया जाता है. इस दिन दुल्ली भट्टी की कहानी सुनने का विशेष महत्व है. मान्यता है कि मुगल काल के समय दुल्ला भट्टी नाम के एक शख्स ने पंजाब की लड़कियों की रक्षा की थी.

उस समय अमीर सौदागरों द्वारा लड़कियों को सामान की तरह बेचा जाता था, तब दुल्ला भट्टी ने लड़कियों को बचाया था और उनकी शादी करवाई थी. इसलिए तब से ही दुल्ला भट्टी को इस दिन याद किया जाता है.

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