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Mahabharat 29 April : विदुर ने महामंत्री के पद से दिया इस्तीफा

भगवान के शांति प्रस्ताव को ठुकराने के बाद दुर्योधन ने एक और मूर्खता की है. 

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महाभारत धारावाहिक में अब तक के एपिसोड में आपने देखा, भगवान श्रीकृष्ण शांतिदूत बनकर आए हैं. इस दौरान भगवान ने पांच गांव मांगे हैं. जिससे दुर्येधन क्रोधित हो गया है और उसने भगवान को बंदी बनाने के लिए सैनिक बुलवा लिए हैं. भगवान के शांति प्रस्ताव को ठुकराने के बाद दुर्योधन ने एक और मूर्खता की है. उसने अपने सैनिकों को स्वयं भगवान नारायण को बंदी बनाने का आदेश दिया है.

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भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण को बताया उनकी माता का नाम

कर्ण और भगवान श्री कृष्ण के बीच वार्ता चल रही है. इस दौरान भगवान ने कर्ण को बताया कि वो पांडवों का ज्येष्ठ भ्राता है और कुंती उनकी माता हैं और सूर्यदेव उनके पिता हैं. जिसके बाद कर्ण भावुक हो गया और आंखों में आंसू लेकर रोने लगा. भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण से कहा कि आप ज्येष्ठ पांडु पुत्र हैं. आप इंद्रप्रस्थ के राजा बनेंगे। सारा संसार आपके यश का गुणगान करेगा. भगवान श्री कृष्ण ने कर्ण से वापस चलने की बात कही. लेकिन कर्ण ने कहा मैं दुर्योधन का ऋणी हूं. इसलिए मैं दुर्योधन की मित्रता को छोड़कर कभी नहीं जा सकता.

कर्ण ने भगवान से कहा

कर्ण और श्री कृष्ण के बीच वार्ता जब लंबी हुई, तो भगवान ने उसे बता दिया की वो ज्येष्ठ कुंती पुत्र है. जिसके बाद कर्ण ने कहा कि आपने ऐसा करके युद्ध से पहले ही अर्जुन के प्राण बचा लिए हैं. अब मैं कभी भी अर्जुन पर प्राण घाती बाण नहीं चला सकका हूं. लेकिन मैं अपने कर्तव्य से बंधा हुआ हूं और ये जानते हुए भी की जहां आप हैं वहां युद्ध कोई और जीत ही नहीं सकता फिर भी दुर्योधन की तरफ से युद्ध करूंगा.

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विदुर ने महामंत्री के पद से दिया इस्तीफा

महात्मा विदुर ने पितामह भीष्म से मिलने के बाद उन्हें ये बताया कि वो हस्तिनापुर के महामंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है. जिसके बाद पितामह ने विदुर से कहा कि जाओ तुम जा सकते हो. लेकिन मैं अपनी प्रतिज्ञा से बंधा हुआ हूं, कुछ कर नहीं सकता चाह कर भी इस युद्ध से पीछे नहीं हट सकता हूं.

दुर्योधन ने पितामह से कहा आप युद्ध में हमारी ओर से सेनापति बनें

दुर्योधन ने हस्तिनापुर की तरफ से युद्ध करते वक्त पितामह भीष्म को सेनापति बनाने का प्रस्ताव दिया था. जिसे पितामह ने स्वीकार कर लिया है. किंतु उन्होंने शर्त रखी है कि ना तो उनकी सेना में कर्ण होगा और ना ही वो पांडवों पर शस्त्र उठाएंगे जिसके बाद दुर्योधन क्रोधित हो गया लेकिन उसे शकुनि ने समझा दिया है.

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