Shaheed Bhagat Singh Jayanti 2022: आज 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह की 115वीं जयंती मनाई जा रही है. आज ही के दिन 1907 में शहीद भगत सिंह (Bhagat Singh) का जन्म पाकिस्तान के लायलपुर, पंजाब में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है. उनके मां का नाम विद्यावती और पिता का नाम किशन सिंह है. मात्र 23 वर्ष की छोटी सी उम्र में वह देश की आजादी के लिए फांसी पर झूल गए थे. भगत सिंह युवा पीढ़ी के लिए हमेशा प्रेरणा के श्रोत रहे हैं.
आज भगत सिंह की जयंती के उपलक्ष्य पर देश उन्हें याद कर अपनी श्रद्धांजलि अर्पित कर रहा हैं. ऐसे में हम आपके लिए उनके कुछ कोट्स, मैसेज लेकर आए हैं जिन्हें शेयर कर आप उन्हें याद कर सकते हैं.
Famous Shaheed Bhagat singh quotes in hindi
कानून की पवित्रता तभी तक बनी रह सकती है, जब तक वो लोगों की इच्छा की अभिव्यक्ति करे.
अगर धर्म को अलग कर दिया जाए, तो राजनीति पर हम सब इकट्ठे हो सकते हैं, धर्मों में हम चाहे अलग-अलग ही रहे.
जिंदगी तो सिर्फ अपने कंधों पर जी जाती है, दूसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं.
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आज़ाद है.
व्यक्तियों के कुचलकर वे विचारों को नहीं मार सकते.
बम और पिस्तौल से क्रांति नहीं आती, क्रांति की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है.
प्रेमी पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं और देशभक्तों को अक्सर लोग पागल कहते हैं.
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है ज़ोर कितना बाजु-ए-कातिल में है.
क्रांति मानव जाति का अपरिहार्य हक है, आजादी सबका कभी ना खत्म होने वाला जन्मसिद्ध अधिकार है.
जो भी व्यक्ति विकास के लिए खड़ा है, उसे हर एक रुढ़िवादी चीज की आलोचना करनी होगी, उसमें अविश्वास करना होगा, तथा उसे चुनौती देनी होगी.
लिख रह हूँ मैं अंजाम जिसका कल आगाज़ आएगा, मेरे लहू का हर एक कतरा इंकलाब लाएगा.
सिने पर जो ज़ख्म है, सब फूलों के गुच्छे हैं, हमें पागल ही रहने दो, हम पागल ही अच्छे हैं.
पिस्तौल और बम इंकलाब नहीं लाते, बल्कि इंकलाब की तलवार विचारों की सान पर तेज होती है और यही चीज थी, जिसे हम प्रकट करना चाहते थे.
किसी भी इंसान को मारना आसान है, परन्तु उसके विचारों को नहीं, महान साम्राज्य टूट जाते हैं, तबाह हो जाते हैं, जबकि उनके विचार बच जाते हैं.
मैं इस बात पर जोर देता हूँ कि मैं महत्त्वाकांक्षा, आशा और जीवन के प्रति आकर्षण से भरा हुआ हूं, लेकिन मैं ज़रुरत पड़ने पर ये सब त्याग सकता हूं, और यही सच्चा बलिदान है.
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