दिल्ली के प्रगति मैदान में चल रहे विश्व पुस्तक मेले में 'बुकचोर' सुर्खियां बटोर रहा है. नाम पर मत जाइए, यहां चोरी की किताबें नहीं मिलती हैं, बल्कि पुरानी किताबों को औने-पौने दामों पर बेचा जाता है. यही वजह है कि यह स्टॉल लोगों को अपनी ओर खींच रहा है.
कम दाम में महंगी किताबें
प्रगति मैदान के हॉल नंबर 10 में 'बुकचोर' का स्टॉल दूर से ही लुभाता है. बांस से बनी बुकशेल्फ रह-रहकर यहां आने वाले किताबों के शौकीन विजिटर्स के कदम रोक लेती हैं.
'बुकचोर' के मैनेजर भावेश शर्मा ने इस दिलचस्प नाम के बारे में पूछने पर बताया, "हम कुछ ऐसा नाम चाहते थे, जिससे लोगों में उत्सुकता बने. लोग सर्च करें कि यह है क्या. इसलिए यह नाम रखा गया."
वह कहते हैं, "हमारा टारगेट पाठक वर्ग युवा है. फिक्शन और नॉन फिक्शन श्रेणियों में महंगी से महंगी पुरानी किताबों को हम काफी कम दाम में बेचते हैं."
तेजी से बढ़ रही है पाठकों की तादाद
'बुकचोर' का नाम पाठकों के लिए ज्यादा पुराना नहीं है. 'बुकचोर' ने अक्टूबर 2015 में अपने काम की शुरुआत की थी. लेकिन इतने कम समय में पुरानी किताबों के शौकीन पाठकों की संख्या तेजी से बढ़ती जा रही है.
भावेश कहते हैं, "अक्टूबर 2015 में कामकाज शुरू करने के बाद से अब तक हमारे पाठकों की संख्या पांच लाख है. हमारे पाठक अरुणाचल प्रदेश से लेकर केरल तक हैं. हमारी वेबसाइट बुकचोर डॉट कॉम से भी किताबें बुक की जा सकती हैं. इसके साथ ही हमारा एक ऐप भी है, जिसकी मदद से आप आसानी से पुरानी किताबें बुक कर सकते हैं."
‘बुकचोर’ अंग्रेजी की पुरानी किताबें बेचता है. मसलन, ‘फिफ्टी शेड्स ट्राइलॉजी’ की कीमत बाजार में 1499 रुपये है, लेकिन बुकचोर से इसे सिर्फ 258 रुपये में ही खरीदा जा सकता है. ‘मेन आर फ्रॉम मार्स एंड वुमेन आर फ्रॉम वीनस’ की वास्तविक कीमत 499 रुपये है, लेकिन ‘बुकचोर’ पर इसे 175 रुपये में खरीदा जा सकता है.
देश-विदेश से पुरानी किताबें इकट्ठा करते हैं
'बुकचोर' पाठकों के साथ-साथ कई खुदरा विक्रेताओं से पुरानी किताबें लेता है. इसके लिए बाकायदा बुकचोर की वेबसाइट पर जाकर पुरानी किताबें देने का विकल्प है. भावेश कहते हैं, "हम पाठकों से अपील करते हैं कि वे जिन किताबों को पढ़ चुके हैं या जो किताबें उनके किसी काम की नहीं है, वे हमें दे दे. इसके अलावा लंदन से भी पुरानी किताबों को हम इकट्ठा करते हैं."
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