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Teachers' Day 2021: 5 सितंबर को टीचर्स डे, जानें इतिहास व महत्व

Teachers' Day 2021: इस दिन छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं उन्हें कई तरह के गिफ्ट्स देते हैं.

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Teachers' Day 2021: स्कूल हो या ऑनलाइन क्लासेज, एकेडमिक हो या म्यूजिक हर जगह शिक्षक महत्वपूर्ण हैं. इसलिए शिक्षकों के प्रति प्यार और सम्मान के लिए हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है. टीचर्स डे भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म-दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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राधाकृष्णन एक महान शिक्षक होने के साथ-साथ स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे. इस दिन छात्र अपने शिक्षकों का सम्मान करते हैं. उन्हें कई तरह के गिफ्ट्स देते हैं. इसके अलावा स्कूलों में सम्मान समारोह आयोजित किये जाते है.

Teacher’s Day 2021: इतिहास

डॉ राधाकृष्णन भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति थे जिनका जन्म 5 सितंबर, 1888 को तिरुट्टनी में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था. वे एक प्रख्यात शिक्षाविद और महान दार्शनिक थें जिन्होंने अपना जीवन शिक्षा के लिए समर्पित कर दिया.

उन्होंने कहा था, "मेरा जन्मदिन मनाने के बजाय 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए तो यह मेरे लिए गौरव की बात होगी." इसलिए उनके जन्मदिन को 1962 से शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है.

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शिक्षक दिवस 2021: महत्व

शिक्षक दिवस के पीछे की कहानी है कि जब डॉ राधाकृष्णन ने 1962 में भारत के दूसरे राष्ट्रपति का पद संभाला, तो उनके छात्रों ने 5 सितंबर को एक विशेष दिन के रूप में मनाने की अनुमति लेने के लिए उनसे संपर्क किया. इस पर डॉ राधाकृष्णन ने उनसे समाज में शिक्षकों के योगदान को पहचानने के लिए 5 सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाने का अनुरोध किया.

शिक्षक दिवस स्कूलों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और शैक्षणिक संस्थानों में मनाया जाता है. इस दिन छात्र अपने सबसे पसंदीदा शिक्षक का सम्मान करते है. इस साल भी, कोविड -19 महामारी के कारण कुछ राज्यों में स्कूल खुल रहे है तो कुछ जगह अभी बंद है. ऐसे में आप अपने टीचर को बधाई संदेश भेज कर उन्हें याद कर सकते है.

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Dr Sarvepalli Radhakrishnan की शिक्षा

राधाकृष्णन की आरंभिक शिक्षा तिरुवल्लुर के गौड़ी स्कूल और तिरुपति मिशन स्कूल में हुई. इसके आगे की पढ़ाई मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज से पूरी की. 1916 में राधाकृष्णन ने दर्शन शास्त्र में एमए किया और मद्रास रेजि‍डेंसी कॉलेज में सहायक प्राध्यापक का पद संभाला.

साल 1954 में उन्हें शिक्षा और राजनीति में उत्कृष्ट योगदान के लिए भारत रत्‍न से सम्मानित किया गया. राजनीति में आने से पहले राधाकृष्णन ने अपने जीवन के करीब 40 साल अध्यापन रहें.

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