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Jallianwala Bagh Massacre Day 2023: जलियांवाला बाग हत्याकांड क्या था

Jallianwala Bagh: इस हत्याकांड में हजारों निहत्थे मासूम लोगों की मौत हुई थी.

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Jallianwala Bagh Massacre Day 2023: 13 अप्रैल, 1919 को पंजाब प्रांत के अमृतसर शहर में हुआ जलियांवाला बाग हत्याकांड को आज 104 साल पूरे हो गए हैं. भारत के इतिहास के सबसे काले दिन के रूप में याद की जाने वाली इस घटना को लेकर आज भी हर भारतीय का दिल पसीझ जाता है. इसी दिन ब्रिगेडियर जनरल रेजिनाल्ड एडवर्ड डायर के आदेश पर अंग्रेजी फौज ने बच्चों, बूढ़ों और महिलाओं पर गोलियों की बारिश कर दी थी. इस हत्याकांड में हजारों निहत्थे मासूम लोगों की मौत हुई थी.

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जालियांवाला बाग हत्याकांड क्या था

ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के अमृतसर शहर में 13 अप्रैल, 1919 को इस नरसंहार की शुरुआत रोलेट एक्ट के साथ हुई, जो 1919 में ब्रिटिश औपनिवेशिक सरकार द्वारा पारित एक दमनकारी कानून था, जिसने उन्हें बिना मुकदमे के राजद्रोह के संदेह वाले किसी भी व्यक्ति को कैद करने की अनुमति दी थी. इस अधिनियम की वजह से पंजाब सहित पूरे भारत में विरोध शुरू हुआ.

अमृतसर में, जालियांवाला बाग में प्रदर्शनकारियों का एक समूह इकट्ठा हुआ था. यह एक सार्वजनिक बाग था, जहां गिरफ्तार किए गए दो प्रमुख भारतीय राष्ट्रवादी नेताओं की रिहाई की मांग करने के लिए और रोलेट एक्ट के खिलाफ शांति से विरोध किया जा रहा था, यहां पुरुष-महिलाओं के साथ बच्चे भी मौजूद थे.

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जनरल रेजिनल्ड डायर के नेतृत्व वाली ब्रिटिश सरकार ने विरोध को अपने अधिकार के लिए खतरे के रूप में देखा और कार्रवाई करने का फैसला किया. 13 अप्रैल, 1919 को डायर और उसके सैनिकों ने जलियांवाला बाग में प्रवेश किया और भीड़ को फंसाने के लिए एकमात्र रास्ता बंद कर दिया.

बिना किसी चेतावनी के, डायर ने अपने सैनिकों को निहत्थी भीड़ पर गोली चलाने का आदेश दिया. लगभग दस मिनट तक गोलीबारी जारी रही, जब तक कि सैनिकों के गोला-बारूद खत्म नहीं हो गए. अंत में कई लोगो की मौत हो गई.

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डायर को देना पड़ा था इस्तीफा

इस नरसंहार की दुनियाभर में आलोचना हुई, जिसके बाद भारत के लिए सेक्रेटरी ऑफ स्‍टेट एडविन मॉन्टेग्यू ने जांच के लिए हंटर कमीशन बनाया. कमीशन की रिपोर्ट आने के बाद डायर का डिमोशन कर दिया गया. उन्हें कर्नल बना दिया गया और साथ ही ब्रिटेन वापस भेज दिया गया था.

हाउस ऑफ कॉमन्स ने डायर के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया, लेकिन हाउस ऑफ लॉर्ड्स ने इस हत्‍याकांड की तारीफ करते हुए उसका प्रशस्ति प्रस्ताव पारित किया. बाद में दबाव में ब्रिटिश सरकार ने उसका निंदा प्रस्‍ताव पारित किया. 1920 में डायर को इस्‍तीफा देना पड़ा. साल 1927 में जनरल डायर की ब्रेन हेम्रेज से मृत्यु हो गई.

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