Good Friday 2024: गुड फ्राइडे का दिन ईसाई धर्म के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है. इस साल 2024 में गुड फ्राइडे 29 मार्च, शुक्रवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन ईसा मसीह की कुर्बानी को याद किया जाता है. ऐसे में इसे गुड फ्राइडे कहा जाता है क्योंकि ईसा मसीह ने लोगों की भलाई के लिए अपनी जिंदगी दे दी थी. जिस दिन उन्हें सूली पर चढ़ाया गया था वो शुक्रवार का ही दिन था. इस दिन को ब्लैक फ्राइडे के नाम से भी जानते हैं.
गुड फ्राइडे के तीन दिन बाद जिंदा हो गए थे यीशु मसीह
ये ईस्टर संडे से पहले आने वाले फ्राइडे को मनाया जाता है. गुड फ्राइडे के तीन दिन के बाद ईस्टर मनाते हैं. यानि 31 मार्च के दिन ईस्टर (Easter) मनाया जाएगा. ऐसा माना जाता है कि सूली पर चढ़ाने के तीन दिन के बाद संडे के दिन भगवान यीशु पुनर्जीवित हो गए थे, उस दिन को ईस्टर कहा जाता है.
Good Friday का इतिहास
दो हजार साल पहले ईसा यरूशलम के गैलिलि स्टेट में मानवता और शांति का संदेश दे रहे थे, जिससे लोगों ने उन्हें भगवान मानना शुरू कर दिया. ईसा के विचारों को वहां के लोग अपने जीवन में उतारने लगे. उन्होंने धर्म के नाम पर अंधविश्वास फैलाने वाले लोगों को मानव जाति का दुश्मन बताया था. उनके संदेशों से परेशान होकर धर्म के नाम पर झूठ फैलाने वाले धर्मपंडितों को उनसे जलन होने लगी. यहां तक कि उन लोगों ने ईसा को मानवता का शत्रु बताना शुरू कर दिया और उन्हें मृत्यु दंड देने का फरमान जारी कर दिया.
ईसा की लोकप्रियता दिन-ब-दिन बढ़ती गई, जिस वजह से धर्म गुरुओं ने उनके खिलाफ रोम के शासक पिलातुस के कान भरना शुरू कर दिए. उन्होंने ईसा को पापी और पाखंडी बताया. ईसा मसीह पर धर्म की अवमानना का आरोप लग गया. ईसा को कई यातनाएं दी गई. उनके सिर पर कांटों का ताज रखा गया, कई कोड़े-चाबुक मारे गए और उन्हें सूली (क्रॉस) पर लटका दिया गया. ईसा ने ऊंची आवाज में परमेश्वर को पुकारा और कहा, "हे परमात्मा, मैं अपनी आत्मा को तेरे हाथों सौंपता हूं." इसके बाद उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए.
Good Friday के दिन क्या करते हैं लोग?
गुड फ्राइडे के दिन लोग चर्च में जाकर प्रार्थना करते हैं. दोपहर में तीन बजे तक प्रार्थना की जाती है, क्योंकि कहते हैं कि ईसा को सूली पर 6 घंटे लटकाया गया था और आखिरी के तीन घंटे में पूरे राज्य में अंधेरा हो गया था.
इसके बाद एक चीख आई और प्रभू ने अपने प्राण त्याग दिए. जब उन्होंने प्राण त्यागे तो कब्रों के कपाट खुल गए और मंदिर का पर्दा नीचे तक फटता चला गया. हालांकि, इस पूरे हफ्ते को ही लोग पवित्र मानते हैं, लेकिन इस दिन कोई सेलिब्रेशन नहीं होता.
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