पूर्वी दिल्ली के दिलशाद गार्डन में, जहां जीटीबी अस्पताल है, फार्मेसियों में दवा की कमी की शिकायतें हैं, न केवल रेमडेसिविर या टोसीलिज़ुमैब, बल्कि सामान्य मल्टीविटामिन जैसे जिंक और विटामिन सी की भी कमी देखने को मिल रही है. न तो हॉस्पिटल में कोई बेड है, न ही ऑक्सीजन. ऐसी स्थिति में, क्या राज्यों को दवाओं को सभी के लिए सुलभ नहीं बनाना चाहिए? क्या इस कमी का कारण घबराहट है? जीटीबी एंक्लेव में बाजार के कुछ केमिस्ट्स से जानिए हकीकत.
अधिकांश ने कैमरे के सामने बात करने से इनकार कर दिया, लेकिन आम सहमति ये थी कि मल्टीविटामिन की ज्यादा मांग और एंटीबायोटिक दवाओं की कमी है.
“मल्टीविटामिन की सामान्य दवाएं, जो ज्यादातर लोग लेते हैं, बाजार में उपलब्ध नहीं हैं. वैसी ही स्थिति विटामिन सी की है. अगर सभी स्थानीय कंपनियों द्वारा निर्मित हैं, तो पेटेंट उपलब्ध नहीं हैं. नेबुलाइजर में इस्तेमाल की जाने वाली दवा भी उपलब्ध नहीं है. ”बंटी, स्थानीय केमिस्ट
अधिकांश स्थानीय फार्मेसियों में, स्थिति एक जैसी ही है. रेमेडेसिविर, फैबिफ्लू की मांग तेजी से बढ़ी है.
कालाबाजारी या घबराहट में खरीद के कारण आम दवाएं मुश्किल से उपलब्ध होती हैं. इसके लिए सरकार से सवाल किए जाने की जरूरत है.
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