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"दानिश, इस बार तू मत जा यार"

Danish Siddiqui के 25 सालों से दोस्त हैं एहतेशाम खान

छोटा
मध्यम
बड़ा

वीडियो प्रोड्यूसर: माज हसन

वीडियो एडिटर: शुभम खुराना

2000 में जामिया नगर की गलियों और जामिया मिल्लिया इस्लामिया के हॉलवे के जरिए, दानिश सिद्दीकी और मैं एक दूसरे को 25 सालों से जानते थे. वो मुझसे एक साल छोटा था. भले ही हमने अलग-अलग विभागों में पढ़ाई की थी, लेकिन इसका हमारी दोस्ती या हमारी जिंदगी पर कोई असर नहीं पड़ा.

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दानिश कंधार जाने से 15 दिन पहले मुझसे बाटला हाउस मिलने आया था. उसने मुझसे कहा कि मैं जा रहा हूं लेकिन मेरा दिल कुछ और कह रहा था. मैंने उससे कहा कि दानिश तू इस बार मत जा यार. कुछ अच्छा सा नहीं लग रहा.

कंधार में जब अमेरिकी सैनिक थे तब वो कहां जा चुका था. लेकिन इस बार तस्वीर अलग थी. 

जैसे ही उसकी मौत की खबर मिली हमें विश्वास नहीं हुआ. वो बताता था कि वहां स्थिति बहुत ही मुश्किल होती है. हर समय बुलेट प्रूफ जैकेट पहनना पड़ता है. क्योंकि कभी भी कुछ भी हो सकता है.

जिस रात घटना घटी उस रात भी कॉमन ग्रुप में उसने लिखा कि मैं ठीक हूं.

एक दोस्त की बाइक और मेरे स्कूटर से हम हमेशा घूमने जाते थे और खाते-पीते थे. बाद में धीरे-धीरे हमने नई गाड़ियां ले ली. हमलोग हमेशा इधर-उधर घूमने जाते थे. बाइक का शौक था लेकिन वो हमेशा उससे गिर जाता था.

मुझे याद है कि जब फोन रखने की लोगों के पास हैसियत नहीं होती थी, तब भी उसके पास छोटा सा फोन होता था और वो उससे तस्वीरें लेता रहता था. जो दानिश की आंखे देख पाती थीं वो शायद कोई और नहीं देख पाता था.

(जैसा कि एहतेशाम खान ने क्विंट के माज़ हसन को फोन पर बताया)

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(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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