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दिल्ली के दीवान, जिन्होंने द्वारका के तीन तालाबों को दिया जीवनदान

छह साल की मेहनत लाई रंग, बारिश के पानी ने बुझाई सूखे पड़े तालाबों की प्यास

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Please Add Name: दीवान सिंह

वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

‘करीब 6 साल से द्वारका के तालाबों को पुनर्जीवित करते हुए मुझे ये समझ आया कि किसी तालाब को पुनर्जीवित करना आसान है. लेकिन सरकार से जूझना मुश्किल.’

ये कहना है दिल्ली के रहने वाले दीवान सिंह का, जिन्होंने अपने साथियों की मदद से द्वारका के सेक्टर 20,23 और 24 के करीब 3 तालाबों को पुनर्जीवित किया है. दीवान सिंह का कहना है कि जो काम करने में उन्हें छह साल का वक्त लगा, वो काम सरकार एक साल में पूरा कर सकती थी. उन्होंने कहा कि सरकार चाहे तो 1 या 2 साल में दिल्ली के करीब 600 तालाबों को पुनर्जीवित कर सकती है.

2012 में करीब 50 गांवों का सर्वे किया गया और पाया कि उन गांवों के करीब 183 ऐसे तालाब हैं, जो किसी काम के नहीं बचे हैं और इसकी रिपोर्ट सरकार को सौंपी जा चुकी है.  

लेकिन बदकिस्मती से हमारा सरकार से कुछ करने का आग्रह बेकार ही गया, और तब हमने ये निश्चित किया कि अब हमें ही कुछ करना होगा. हमने बड़ी मेहनत की और कुछ सालों में हमारी मेहनत रंग लाई. लेकिन हमें सरकार से अब भी आपत्ति है कि ये तालाब सरकार के हैं लोगों के नहीं.

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कई तरह के पक्षी यहां इस तालाब में आते हैं, तालाब के अंदर के जीवन में भी काफी सुधर हुआ है, और ये वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में पहला कदम है.

हमने जो तालाबों को पुनर्जीवित किया ये द्वारका के लोगों की मदद के बिना नहीं हो पाता, मेरे दोस्त सूरज भान बताते हैं कि-

गांव वालों की मदद से हमने तालाब को पुनर्जीवित किया है, इस साल मानसून में ये तालाब भर चूका है, मानिए तालाब फिर जीवित हो गया है

अब हमें रेन वॉटर हार्वेस्टिंग प्रोजेक्ट को एक बार फिर से सोचने की जरूरत है. तालाब रेन वॉटर हार्वेस्टिंग के लिए काफी अच्छे हैं और असरदार हैं. अकेले सेक्टर 23 के तालाब में 1 करोड़ लीटर पानी की पूर्ति हुई है.

अब DDA को आगे आना चाहिए, द्वारका का तीसरा तालाब मानसून में पूरी तरह भर जाना चाहिए था लेकिन प्रशासन की नजरअंदाजी के कारण वो तालाब सूख गया.

तालाबों पर भी ध्यान देना चाहिए, सूखे तालाबों की जमीन का इस्तेमाल कॉमर्शियल यूज के लिए होने लगता है, हमें शर्म आनी चाहिए कि इतने खूबसूरत तालाब सूखते चले जा रहे हैं और उनकी जमीनों पर मॉल और ऑफिस की बिल्डिंगें बनती जा रही हैं.

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