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ऑक्सीजन पर सरकारी झूठ: अपनों को खोने वालों ने क्या कहा?

COVID-19 से अपनों को खोने वालों का सवाल- कमी नहीं थी तो Oxygen Tanker विदेशों से क्यों लाई सरकार?

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

वीडियो इनपुट: पीयूष राय, मोहम्मद सरताज आलम, एंथनी रोजारियो

20 जुलाई को स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में बताया कि देश में कोरोना वायरस (Coronavirus) की दूसरी लहर के दौरन ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई.

लिखित बयान में स्वास्थ्य मंत्रालय से डॉक्टर भारती प्रवीण पवार ने राज्यसभा में कहा कि देश में किसी भी राज्य ने या केंद्र शासित प्रदेश ने कोरोना की दूसरी लहर में लिकविड मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से मौत का आंकड़ा रिपोर्ट नहीं किया.

केंद्र के इस बयान के बाद राज्यसभा में बहस छिड़ गई, 5 राज्य- गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, तमिल नाडु, मध्य प्रदेश और गोवा ने आंकड़ों की रिपोर्ट नहीं दी.

ऑक्सिजन की आपदा

केंद्र और राज्य सरकारों के दावों पर जिन लोगों ने अपने चाहने वालों को, अपने करीबियों को खोया था, उनके जैसे होश उड़ गए. एरिक मेस्सी की मां दिल्ली के जयपुर गोल्डन अस्पताल के ऊन 25 मरीजों में से थीं, जिनकी मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई. एरिक कहते हैं कि सरकार पीड़ित परिवारों का मजाक बना रही है.

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रजनीश यादव रिंकु की मौत 27 अप्रैल को आगरा के श्री पारस अस्पताल में हुई. ये वही अस्पताल है जिसपर ऑक्सीजन को लेकर कथित ‘मॉक ड्रिल’ को लेकर जांच चल रही है. रजनीश के परिवार का दावा है कि उनकी मौत ऑक्सीजन की कमी के कारण हुई.

कई परिवारों का दावा है कि अगर उन्हें वक्त पर ऑक्सीजन मिल जाता तो उनके करीबियों की जान बच सकती थी. लेकिन अब जब उनकी मृत्यु हो गई है तो सरकार उनका मजाक उड़ा रही है.

‘असल सवाल ये है कि अगर देश में ऑक्सीजन की किल्लत से जानें नहीं गई तो भारत को विदेशों से ऑक्सीजन के बड़े-बड़े टैंकर मंगवाने की जरूरत क्यों पड़ी?’

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