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अगर नेशनल हाईवे पर गड्ढा न होता, तो मेरा 3 साल का बेटा जिंदा होता

शुरुआत में पुलिस ने हिट एंड रन का केस दर्ज किया

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वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान

2014 की बात है. 10 फरवरी को रात करीब 10:20 बजे, हम बल्लभगढ़ से अपने टू-व्हीलर से फरीदाबाद लौट रहे थे. अचानक नेशनल हाईवे 2 पर मेरी बाइक एक गड्ढे में गई, संतुलन बिगड़ा और हम गिर गए.

मैंने अपने 3 साल के बेटे पवित्र को खो दिया. मेरी पत्नी को 23 सर्जरी से गुजरना पड़ा क्योंकि पीछे से आते एक वाहन ने उसके पैरों को कुचल दिया था. वहां से गुजरने वाले कुछ लोगों ने हमें अस्पताल पहुंचाया. मेरे बेटे की कई फ्रैक्चर होने और हैमरेज से मौत हो गई और मेरी पत्नी एक महीने से भी ज्यादा वक्त जिंदगी के लिए लड़ती रही.

शुरुआत में पुलिस ने हिट एंड रन का केस दर्ज किया. काफी जांच के बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं हुई.

शुरुआत में पुलिस ने हिट एंड रन का केस दर्ज किया
मेरा बेटा पवित्र
(फोटो: मनोज वाधवा)
हम चंडीगढ़ हाई कोर्ट पहुंचे और उसके दखल के बाद फरीदाबाद पुलिस कमिश्नर को इस केस में पक्षकार बनाया गया. 

पुलिस ने उसके बाद जल्द एक SIT बनाई. पुलिस ने कहा कि जिन कंपनियों को उस रोड को बनाने का ठेका मिला था, उनके डायरेक्टर्स और प्रोजेक्ट मैनेजर्स को IPC की धारा 304 (A) के तहत जिम्मेदार ठहराया गया.

अभी तक, हम किसी सरकारी अफसर और उस रोड के ऑडिट के लिए जिम्मेदार कॉन्ट्रैक्टर को सजा दिलाने के लिए लड़ रहे हैं. इसके अलावा मैंने गड्ढों के खिलाफ एक कानून का प्रस्ताव 17 मुख्यमंत्रियों, रोड और हाईवे मंत्री नितिन गडकरी और पीएम मोदी को भेजा है.

सिस्टम में खामियां ही खामियां

कानून-व्यवस्था में कई खामियां हैं जिसकी वजह से रोड एक्सीडेंट के शिकार लोगों को न्याय मिलने में देरी होती है.

पहला, डेटा न होना. रोड एक्सीडेंट के आंकड़े वही हैं जो पुलिस के रिकॉर्ड में दर्ज है. दूसरा, दुर्घटनाओं की श्रेणी भी इन्हीं रिपोर्ट से तय की जाती है, जो कई बार सच्चाई से परे होती है. मेरे केस में, मुकदमा पहले हिट एंड रन का बताकर और ये कहकर कि अज्ञात वाहन ट्रेस नहीं हो पाया, बंद कर दिया गया. जबकि असल में एक्सीडेंट गड्ढों की वजह से हुआ था.

शुरुआत में पुलिस ने हिट एंड रन का केस दर्ज किया
पवित्र महज 3 साल का था
(फोटो: मनोज वाधवा)
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गड्ढों की वजह से मौत को कैसे रोका जाए?

लोगों को ये सुविधा मिले कि वो किसी भी गड्ढे की जानकारी एक तारीख, समय और जगह के साथ पुलिस और संबंधित अधिकारियों को दे सकें. अगर रोड की मरम्मत नहीं होती है तो पुलिस उस कॉन्ट्रैक्टर के खिलाफ IPC की धारा 304 (II) के तहत केस दर्ज करे. एक ऐप भी संबंधित अधिकारियों को गड्ढे की लोकेशन ढूंढने में मदद कर सकता है. अगर इसका पालन हुआ तो गड्ढे समय पर भरे जाएंगे.

लोगों को सभी विभागों में जिम्मेदारी तय करने की मांग उठानी पड़ेगी. अदालतों को भी ये मामले जल्दी सुलझाने चाहिए. जिंदगी और मौत के मामलों को वरीयता मिलनी चाहिए. सुरक्षित सड़कें होंगी तभी लोग सुरक्षित होंगे.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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