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कोई सुनेगा? अपने टूटे मकानों के पास थाली बजाते लोग

फरीदाबाद में नगर पालिका परिषद ने कई घरों पर बुलडोजर चलाया, जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए.

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वीडियो एडिटर: संदीप सुमन

मेरा सारा घर तोड़ दिया, सामान तक निकालने नहीं दिया- ये कहना है- सूरजकुंड के खोरी गांव की रहने वालीं कुसुम देवी का. 14 सितंबर को फरीदाबाद के खोरी गांव में नगर पालिका परिषद ने कई घरों पर बुलडोजर चलाया जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए.

अपनी आंखों के सामने अपने घर को टूटता देख दिहाड़ी मजदूर कुसुम देवी के आंसू नहीं रुक रहे थे. कुसुम कहती हैं, नगर पालिका ने मेरा घर तोड़ दिया, सब बर्बाद हो गया, क्या सरकार मेरे नुकसान की भरपाई करेगी?.

मेरे दो छोटे-छोटे बच्चे हैं, मैं अब उन्हें कहां लेकर जाऊं, मैं क्या करूं कुछ समझ नहीं आ रहा है.
कुसुम देवी, दिहाड़ी मजदूर

खोरी गांव में रहने वाले दिहाड़ी मजदूर विष्णु कुमार का घर भी नगर पालिका की इस कार्रवाई में टूट चूका है. विष्णु कहते हैं कि उन्होंने अपने सपनों के घर में अपनी उम्र भर की कमाई लगाई थी.

मेरे पास जितनी पूंजी थी वो मैंने अपने घर में लगा दी थी, घर तोड़ने से पहले हमें सामान तक निकलने नहीं दिया गया, पूरा घर तहस नहस हो गया. हमारे पास न तो अब नौकरी है और न तो आगे कोई उम्मीद दिखती है, हमारे बच्चे हैं उन्हें लेकर हम कहां जाएंगे?
विष्णु कुमार, दिहाड़ी मजदूर 
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महीनों की बचत के बाद पूजा के पिता ने बेटी के लिए मोबाइल खरीदा था ताकि वो ऑनलाइन क्लास में शामिल हो पाए, लेकिन बिना सिर पर छत और बिजली के कैसे पढ़ेगी पूजा?

मैं 12वीं में पढ़ती हूं, पहले ही पढ़ाई का बहुत नुकसान हो चुका है, 4 दिन से कोई क्लास नहीं लगी, आज एक क्लास लगने का था लेकिन अब न तो मोबाइल चार्ज है न कुछ.
पूजा, 12वीं की छात्रा

स्थानीय लोगों का आरोप मंदिर और गुरुद्वारा भी ढहाए गए

खोरी गांव के रहने वाले परमजीत सिंह दिहाड़ी मजदूर हैं. परमजीत का दावा है कि जब वो खेत से लौट रहे थे तो देखा कि घरों पर बुलडोजर चल रहे है .

मैं किसी काम से बाहर गया था जब मैं लौटा तो देखा कि बुलडोजर चल रहे हैं, पहले तो उन्होंने (नगर पालिका) गुरुद्वारा तोड़ा, फिर मंदिर तोड़ा.
परमजीत सिंह, दिहाड़ी मजदूर

स्थानीय लोगों की मांग है कि उन्हें जल्द पुनर्वास की सुविधा मिले और रहने को घर दिया जाए.

मेरे पास न खाने के पैसे हैं न तो हम कुछ बनाने लायक रह गए हैं, क्या सरकार को इतना नहीं पता कि पहले नोटिस दिया जाता है और तोड़ने भी आए हैं तो सामान निकालने का समय दिया जाता है.
कुसुम देवी, दिहाड़ी मजदूर 
मेरी सरकार से मांग है कि जिस तरह से हम लोगों के घर तोड़े गए हैं उन्हें रहने के लिए मकान दिए जाए और अभी के लिए हमें सुबह और शाम के खाने का सामान दिया जाए.
परमजीत सिंह, दिहाड़ी मजदूर 
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नगर पालिका की कार्रवाई के 3 हफ्ते बाद भी लोग अपने टूटे मकानों के आस-पास टेंट में रहने को मजबूर हैं. खोरी गांव की रहने वालीं सिमरजीत कौर बताती हैं कि उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पढ़ रहा है, मजबूरन शौच के लिए उन्हें आसपास के इलाकों में जाना पढ़ रहा है

वहीं 12वीं क्लास में पढ़ने वालीं पूजा का कहना है कि कोरोना की वजह से सरकार ने सभी से कहा था कि कोई घर से न निकले लेकिन अब सभी के मकान तोड़ दिए, सभी लोग सड़क पर आ गए हैं कहां जाएंगे?

'द क्विंट ने नगर निगम फरीदाबाद के कमिश्नर से और टाउन एंड प्लानिंग डिपार्टमेंट, हरियाणा के डिस्ट्रिक्ट टाउन प्लानर से संपर्क किया है. उनके जवाब का इंतजार है.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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