देश के 10 राज्यों में लंपी वायरस का प्रकोप जारी है. सिटीजन जर्नलिस्ट स्वाती बुंदेला अपनी दादी से मिलने ग्वालियर पहुंचीं. वहां उन्होंने देखा उनकी बीमार गाय लंपी वायरस से पीड़ित थी. गांव की कई बीमार गायें लंपी वायरस की चपेट में आ चुकी हैं. महंगे इलाज और इसकी बीमारी की जानकारी ने होने के कारण कई गांव वालों ने अपनी गायों को खो दिया.
गांव की एक पशुपालक शिवकली तोमर ने बताया कि, "हमें इस बीमारी के बारे में बिलकुल पता नहीं था, और न ही हमें किसी ने बताया कि इसका क्या इलाज है. इसकी वजह से मेरी गाय की मौत हो गई".
एक और पशुपालक सुनीता ने बताया कि, "उनकी गाय बिल्कुल स्वास्थ थी, लेकिन एक दिन बाहर घूमने चली गई, और उस दिन के बाद वह बीमार हो गई. बीमारी काफी भयंकर थी, और हमें पता भी नहीं चला इसका इलाज क्या है. और हमारी गाय मर गई.
कई लोगों ने अपनी गाय को बचाने के लिए डॉक्टर के यहां दौड़ लगाई, जिसमें पशुपालक एक डॉक्टर को बुलाने के लिए खर्च कर रहे ₹500-1000 रुपये.वायरस प्रकोप के बीच अफवाह फैली कि ये संक्रमित दूध से इंसानों में फैलता है, लेकिन सरकार ने इसे फेक न्यूज बताया.
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