नई दिल्ली में जामिया मिल्लिया इस्लामिया यूनिवर्सिटी ने अपनी ऑफ-लाइन क्लास फिर से शुरू कर दी हैं और अधिकांश छात्रों ने क्लास लेना शुरू भी कर दिया है. हॉस्टल की सुविधा न होने के कारण बाहरी छात्रों को रहने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. माई रिपोर्ट के तहत ओवैस सिद्दीकी ने केंद्रीय विश्वविद्यालय में पढ़ने वाले कुछ छात्रों से मुलाकात की ताकि वे उन मुद्दों को समझ सकें जिनका वे सामना कर रहे हैं.
बिहार के गया की रहने वालीं छात्रा आयशा ने बताया कि "मैं तुर्की भाषा और साहित्य विभाग से स्नातक कर रही हूं. अभी तक हॉस्टल में कमरा नहीं मिला, बाहर फ्लैट किराए पर लेकर रह रहे हैं. मैं अपने दोस्तों के साथ फ्लैट शेयर कर रह रही हूं. जब हमें लाइब्रेरी में पढ़ने के लिए देर रात तक रुकना पड़ता है, तो हमारे लिए घर जाने के लिए रिक्शा लेना मुश्किल हो जाता है"
कई छात्रों, विशेषकर महिलाओं ने पेइंग-गेस्ट आवास की सुविधाओं के बारे में शिकायत की
"पेइंग-गेस्ट की सुविधा बहुत छोटी जगहों पर उपलब्ध है और थोड़ी दूरी पर है. हम कैंपस लाइब्रेरी में देर रात तक पढ़ाई नहीं कर सकते हैं, हमें अपने स्थानों पर वापस जाना पड़ता है, जो हमारे लिए सुरक्षित नहीं है."आयशा, छात्रा
स्नातक की छात्रा दिलनाशीन आरजू कहती हैं..
"मैं बिहार से आती हूं. मुझे, व्यक्तिगत रूप से, एक समस्या का सामना करना पड़ा. हाल ही में, लगभग 3 बजे, मैं अस्वस्थ महसूस कर रही थी. मेरे लिए एक ऑटो-रिक्शा करना बहुत मुश्किल हो गया था. अगर मैं हॉस्टल में रहती तो मुझे छात्रों और वार्डन से आसानी से मदद मिलती और प्राथमिक चिकित्सा सुविधाएं भी उपलब्ध होतीं,"
'कैंपस के बाहर रहना महंगा'
शहनबाज नाम के एक छात्र ने बताया कि जामिया जब हॉस्टल सुविधा प्रदान करता था, तब वह हमसे सालाना 7500 रूपये लेते थे, लेकिन बाहर फ्लैट हमें 8 से 10 हजार प्रतिमाह में मिलता है, जिसमें कुछ सिक्योरिटी के रूप में जमा करना होता है. जब क्विंट ने इन छात्रों से बातचीत की तो पता चला इनमें से ज्यादातर छात्र मिडिल क्लास परिवार से हैं.
उत्तर प्रदेश के अयोध्या से आने वाले सूफियान अली ने क्विंट को बताया कि जामिया मिलिया इस्लामिया में प्रवेश लेने से पहले, वह दिल्ली में किसी को नहीं जानता था और रहने के लिए जगह खोजने में बहुत मुश्किल होती थी.
जामिया मिलिया इस्लामिया की क्विंट से बातचीत
"हॉस्टल दो साल से बंद थे, इसलिए इसकी मरम्मत की आवश्यकता है. साथ ही, हम मौजूदा छात्रावास भवन के शीर्ष पर दो और मंजिलों का निर्माण कर रहे हैं. इसलिए, वर्तमान स्थिति में छात्रावास के कमरे आवंटित करना सुरक्षित नहीं है. जामिया मिलिया इस्लामिया के रजिस्ट्रार प्रो. निजाम जाफरी ने कहा, हम 15 नवंबर तक छात्रावास को फिर से खोलने की उम्मीद कर रहे हैं.
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