हमसे जुड़ें
ADVERTISEMENTREMOVE AD

"जम्मू-कश्मीर HC के नए परिसर बनने के लिए रायका जंगल के 38,000 पेड़ काटना गलत"

'जम्मू के निवासी के रूप में मैं कह रहा, यह शहर के पर्यावरण के लिए विनाशकारी होगा.'

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा

रोज का डोज

निडर, सच्ची, और असरदार खबरों के लिए

By subscribing you agree to our Privacy Policy

पर्यावरणविदों और क्लाइमेट एक्सपर्ट्स की कई चेतावनियों के बावजूद, जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के कॉम्प्लेक्स को जानीपुर से जम्मू शहर के रायका में शिफ्ट करने की तैयारी हो रही है. इसके लिए लगभग 38,000 पेड़ काटे जाएंगे. जम्मू (Jammu) के निवासी के तौर पर यह शहर के पर्यावरण के लिए विनाशकारी होगा. लगभग 2.5 साल पहले प्रस्ताव पास होने के बाद से हम ‘Save Raika Forest’ अभियान चला रहे हैं क्योंकि जम्मू के हरे फेफड़ों की रक्षा करने की आवश्यकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पर्यावरणविदों की चेतावनी

राइका-बाहु जंगल जम्मू के पूर्व में 19 किमी वर्ग के क्षेत्र में फैला हुआ है, जहां एक नए कोर्ट कॉम्प्लेक्स के निर्माण के लिए 40 हेक्टेयर वन भूमि को मंजूरी दी गई है. इसकी अनुमानित लागत लगभग 938 करोड़ है.

Save Raika Forest अभियान 

(फोटो- अनमोल ओहरी)

जम्मू में एनवायरमेंटलिस्ट रूपचंद मखनोत्रा 20 वर्षों से अधिक समय से इस उद्देश्य के लिए काम कर रहे हैं. उन्होनें मुझे शहर के भविष्य के बारे में चेतावनी दी अगर हम विकास के नाम पर ये कदम उठाएगें तो क्षेत्र की बायोडायवर्सिटी नष्ट हो जाएगी.

"रायका में कंडी बेल्ट की बायोडायवर्सिटी मौजूद है, जिसमें मोर, ग्रे फ्रेंकोलिन, तेंदुए आदि शामिल हैं. ये सभी जीव बेघर हो जाएंगे. एक तरफ, भारत ने संयुक्त राष्ट्र में कार्बन न्यूट्रालिटी और हरित आवरण बढ़ाने की बात की और दूसरी तरफ हम जमीन पर हरित आवरण को कम कर रहे हैं और बायोडायवर्सिटी को नष्ट कर रहे हैं."
रूपचंद मखनोत्रा, एनवायरमेंटलिस्ट

इस बात पर प्रकाश डालते हुए कि हम अतीत से नहीं सीख रहे हैं, मखनोत्रा ​​जी ने मुझसे कहा, "पाकिस्तान की बाढ़ को देखो, आप केदारनाथ और श्रीनगर की आपदा को भूल गए. ये सभी चीजें प्रकृति के क्रोध का संकेत देती हैं जब हम इसके साथ खेलते हैं और इससे बचना मुश्किल होता है." सरकार के प्रकृति विरोधी और मानव विरोधी एजेंडे को बताते हुए मखनोत्रा ​​ने पर्यावरण के लिए लड़ने की जरूरत पर जोर दिया.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

वकील विरोध कर रहे हैं

दूसरी ओर हाईकोर्ट के वकील भी कोर्ट कॉम्प्लेक्स को शिफ्ट करने का विरोध कर रहे हैं.

"यह सच है कि वर्तमान हाई कोर्ट बिल्डिंग वकीलों के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन हमारे पास क्षमता बढ़ाने के लिए यहां जगह है. हमें जानीपुर (जम्मू में) में 600 कनाल क्षेत्र का विकास करना चाहिए. हमें यहां केवल आवश्यकता के अनुसार विकास करना चाहिए. जानीपुर में नए ब्लॉक तैयार किए जा सकते हैं.”
एच सी जलमेरिया, वकील
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वर्तमान हाई कोर्ट काम्प्लेक्स, जानीपुर

(फोटो- अनमोल ओहरी)

एक अन्य वकील, अरविंद बंदराल, जिनसे मैं उनके मुद्दे को समझने के लिए मिला था, उन्होंने जानीपुर से राइका में शिफ्टिंग करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया. वर्तमान हाई कोर्ट कॉम्प्लेक्स 1994 से चालू है. अरविंद बंदराल ने कहा, "हाई कोर्ट को इस इमारत में शिफ्ट हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है. यह एक नई सुरक्षित इमारत है."

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया न्यायकर्त्ता डीवाई चंद्रचूड़ ने 28 जून को नए अदालत परिसर की बुनियाद रखी.

"पिछली बार एसोसिएशन में, हमारे अध्यक्षों ने इस मुद्दे पर विरोध किया था, और सरकार ने पहले हमें आश्वासन दिया था कि हाई कोर्ट को शिफ्ट नहीं किया जाएगा और उन्होंने जानीपुर में एक बहुमंजिला इमारत देने का वादा किया था. यहां निर्माण कार्य शुरू हुआ, लेकिन फिर इसे रोक दिया गया, मुझे नहीं पता क्यों."
अरविंद बंदराल, वकील
ADVERTISEMENTREMOVE AD

रायका के निवासियों और मैंने हस्तक्षेप करने के लिए भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश को एक डीटेल्ड पत्र लिखा है. पत्र में हमने CJI से रायका वन की रक्षा और जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट शिफ्टिंग को लेकर हो रहे अन्याय के लिए तत्काल हस्तक्षेप का अनुरोध किया है.

जम्मू-कश्मीर के नए कोर्ट काम्प्लेक्स के निर्माण पर CJI को पत्र

द क्विंट

ADVERTISEMENTREMOVE AD

रायका जंगल 150 से अधिक प्रजातियों के पेड़ों और झाड़ियों और पक्षियों और जानवरों की कई लुप्तप्राय प्रजातियों का घर है, हमने इस मामले में न्याय के लिए न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ से आग्रह किया. हम किसी भी विकास के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हमें यह समझना चाहिए कि कंक्रीटीकरण और वनों की कटाई मानव जीवन को प्रभावित करेगी.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरीज सिटिजन जर्नलिस्ट द क्विंट को सबमिट करते हैं . हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
और खबरें
×
×