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डियर इंडिया, हमारी शान तिरंगा के लिए एक नज्म

लिखिए इंडिया के नाम चिट्ठी, सीधे दिल से

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वीडियो एडिटर: दीप्ति रामदास

डियर इंडिया,

मैं इंदौर की एक कवियत्री हूं. 71वें गणतंत्र दिवस के मौके पर मेरा ये नज्म ’तिरंगा’ आप सभी को समर्पित है.

सरजमीं-ए -हिंदुस्तान की अजमत पर

हमें कुर्बान होना है

एक बार फिर तिरंगे का कफन पहनकर

इस वतन-ए-मिट्टी की कब्र में दफन होना है

दिल कुर्बान होता है उन शहीदों पर

जिन्हें नसीब हुआ है वो तीन रंगों का परचम

इस दिल को भी उस तीन रंगों के परचम के नूर से रोशन होना है

कोई कदीम राब्ता है इस सरजमीं से सबका

ये हसरत है वतन हमारा जिस्म

हमें इस जिस्म का दिल होना है

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