ADVERTISEMENTREMOVE AD

डियर इंडिया, हमारे भाईचारे और एकता को NRC भी नहीं हिला सकता

लिखिए इंडिया के नाम चिट्ठी, सीधे दिल से

Published
छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

वीडियो एडिटर: प्रशांत चौहान
भारत के गणतंत्र दिवस के मौके पर, मैंने नागरिकता (संशोधन) कानून और एनआरसी के खिलाफ चल रहे विरोध को ध्यान में रखते हुए एक कविता लिखी है. ये विरोध 1947 के भारत की याद दिला रहा है. एक औपनिवेशिक सरकार के खिलाफ विद्रोह जिसने भारत को आजादी दिलाई. कविता इन पंक्तियों से शुरू होती है:

‘सारे जहां से अच्छा, हिंदुस्तान हमारा,
मुझे नहीं पसंद ये एनआरसी तुम्हारा '

इन पंक्तियों का मोटे तौर पर मतलब है कि मेरा भारत- अपने धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक रूप में - सबसे अच्छा है. एनआरसी हमें बांट नहीं सकता.

महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू, चंद्रशेखर आजाद, राम प्रसाद बिस्मिल जैसे क्रांतिकारियों ने हमारे देश की स्वतंत्रता और एकता के लिए लड़ाई लड़ी. ये हमारे देश का मूल भाव है जिसे हमें संरक्षित करना चाहिए.

चाहे कोई हिंदू हो, मुस्लिम हो, सिख हो या ईसाई हो, हम सब एक साथ खड़े हैं. कुछ भी हमारे भाईचारे और प्रेम को हिला नहीं सकता.

प्यारे भारत, इतिहास को खुद को दोहराने न दें. 1947 जैसा विभाजन नहीं हो सकता. उन ताकतों का विरोध करें जो नफरत के बीज बोना चाहते हैं. उन्हें हम भारतीयों का कोई समर्थन नहीं मिल सकता क्योंकि मेरा मानना है कि हमारा देश हमेशा उन लोगों के खिलाफ एकजुट हुआ है जो हमें विभाजित करने की कोशिश करते रहे हैं.

जय हिन्द!
फरहाद शमशी,
रांची

0
लिखिए इंडिया के नाम चिट्ठी, सीधे दिल से
लिखिए इंडिया के नाम चिट्ठी, सीधे दिल से
(फोटो: क्विंट हिंदी)  

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×