गठबंधन की राजनीति में क्षेत्रीय दलों की अहम भूमिका है, इसे लोकतंत्र की आत्मा कहें तो गलत नहीं होगा, क्योंकि इसमें समाज के विभिन्न वर्गों को बड़े पैमाने पर मुख्य धारा में हिस्सा लेने का मौका मिलता है. इमरजेंसी के बाद देश में गठबंधन-सरकार की शुरुआत हुई और मंडल-दौर में इसमें तेजी आई. धीरे-धीरे इसका आकार बढ़ने लगा और आज की तारीख में मुख्य रूप से दो धुरी है एक कांग्रेस के नेतृत्व में यूपीए और दूसरा बीजेपी के नेतृत्व में एनडीए.
यहां पर हम मुख्य रूप से तीन सरकारों की चर्चा करेंगे, जिसमें अटल बिहारी वाजयेपी, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी की सरकार शामिल है और ये तीनो ही गठबंधन की सरकार रही.
सभी सरकारें कल्याणकारी योजनाओं की घोषणाएं करने में कभी पीछे नहीं रहते, लेकिन किसी भी सरकार की सफलता का मापदंड सिर्फ घोषणाओं पर नहीं बल्कि इसपर आधारित होता है कि धरातल पर सफलता पूर्वक किस सरकार ने अपनी कठिन योजनाओं को अमल में लाया. इस आधार पर देखेंगे तो डॉ मनमोहन सिंह की नेतृत्व वाली सरकार सबसे बेहतर रही.
परमाणु परीक्षण करना या अपने देश के लिये दुश्मन देश स्थित आतंकवादी केंद्रों को निशाना बनाना महत्वपूर्ण है, लेकिन यह काम तो अन्य सरकारों के समय भी होते रहे हैं. डॉ सिंह के समय जो काम हुए वे किसी अन्य सरकार के लिये करना बेहद कठिन होता. बतौर उदाहरण निम्नलिखित हैं :
साल 2008 में अमेरिका-यूरोप समेत पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था धाराशायी हो गई थी, लेकिन डॉ सिंह की सरकार ने इसका प्रभाव भारत पर नहीं पड़ने दिया. इस बात को लेकर विकसित देश भी आश्चर्यचकित रहे.
वाजपेयी सरकार में परमाणु परीक्षण के बाद रूस को छोड़ विकसित देशों ने भारत से अपना मुंह मोड़ लिया था, ऐसे में अमेरिका जैसे देश के साथ विकास के लिये गैर-सामरिक न्यूक्लियर डील करना कोई आसान काम नहीं था. डील हुआ और इसका लाभ भी मिला. उच्च शिक्षण संस्थानों में पिछड़े वर्ग के लोगों को 27 प्रतिशत आरक्षण दिया गया. इसके लिये पीएम मनमोहन सिंह और मानव संसाधन मंत्री अर्जुन सिंह की काफी सराहना की गई.
नरेगा/मनरेगा( महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) - मजदूरों के लिये क्रांतिकारी योजना साबित हुई, इसके अंतर्गत 100 दिनों का रोजगार और 100 रूपये न्यूनतम मजदूरी तय की गई.
शिक्षा और सूचना का अधिकार- शिक्षा के अधिकार के तहत 6 से 14 साल के बच्चों के लिये शिक्षा को मुफ्त और अनिवार्य सुनिश्चित किया गया. पारदर्शिता को बढ़ाने के लिये सूचना के अधिकार लाये गये. डॉ सिंह के कार्यकाल की लिस्ट लंबी है. बहरहाल आजादी के बाद पंडित नेहरू प्रधानमंत्री और सरदार पटेल गृहमंत्री बने. इनके नेतृत्व में राजतंत्र को हटाकर लोकतंत्र की स्थापना की गई.
डॉ अंबेडकर के नेतृत्व में बने भारतीय संविधान ने इसे स्थायी मजबूती दी और ढांचा ऐसा बनाया गया कि कोई तानाशाह न बन सके. चहुंमुखी विकास के लिये जरूरी है कि गठबंधन की सरकार हो क्योंकि इसमें गलती करने की संभावना बहुत कम होती है, जो भी फैसले होते हैं उसमें व्यापकता दिखती है. इसलिये हर दल चाहता है कि बढ़िया काम हो ताकि वे चुनाव जीत कर सत्ता में आ सकें.
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