ADVERTISEMENTREMOVE AD

सिर्फ ‘जादू की झप्पी’ से खत्म नहीं होगी भारत-पाकिस्तान की कड़वाहट

भारत की हर पहल के बाद पाक के नापाक मंसूबे ही सामने आए है

story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा

पाकिस्तान के साथ रिश्ते जादू की झप्पी से ठीक होंगे या सर्जिकल स्ट्राइक से. इस सीधे से सवाल का सीधा सा जवाब हो सकता है, जादू की झप्पी. चूंकि भारत की विदेश नीति शांतिपूर्ण सह-अस्त्तिव की नीति है और वह किसी भी समस्या को बातचीत के साथ सुलझाने का प्रयास करता है. अब तक पाक के साथ हम इसी नीति पर चल रहे हैं. हमने पाक को बातचीत के जरिए कई बार जादू की झप्पी दी है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

दोनों देशों की सरकार में जब भी सत्ता परिवर्तन होता है उनके सामने सबसे बड़ा सवाल यहीं होता है कि दोनों देशों के बीच रिश्ते कैसे मधुर हो. मोदी जी ने जब प्रधानमंत्री पद की शपथ ली थी, तो उन्होंने अपने शपथ ग्रहण समारोह में तत्कालीन पाक पीएम को न्योता दिया था. इसी कड़ी में वह 2015 में अनियोजित पाक यात्रा पर गए. तब सबने प्रधानमंत्री के इस कदम की तारीफ की, दोनों मुल्कों की आवाम में उम्मीद जगी कि अब रिश्ते बेहतर होंगे, लेकिन उसके कुछ दिनों बाद ही पठानकोट वायुसेना स्टेशन पर आंतकवादी हमला हुआ. इसके बाद उरी, नागरोटा और हाल में हुआ पुलवामा हमला कौन भूल सकता है. जब हमने 40 जवानों की शहादत को देखा.

उससे पहले अटल जी ने जब दिल्ली से लाहौर तक बस यात्रा की थी, तब भी यही उम्मीद जगी थी, लेकिन उसी साल कारगिल की जंग हुई. इसी तरह साल 2001 आगरा में अटल जी और मुशर्रफ की मुलाकात होती है और उसी साल भारत के संसद पर आंतकवादी हमला होता है.

भारत की हर पहल के बाद पाक के नापाक मंसूबे ही सामने आए है. जैसे ही हमारे बातचीत का संबंध आगे बढ़ने का दौर शुरू होता है, बीच में आंतकवाद आ जाता है. पाक में शह पा रहे दहशतगर्द आए दिन भारत के खिलाफ जहर उगलते रहते हैं. दुनिया के मोस्ट वॉन्टेड आतंकवादी पाक में पनाह पाए हुए आराम से अपना जीवन जी रहे हैं. लेकिन पाक के इनके खिलाफ कोई एक्शन नहीं लेता, उल्टा वो तो यह मानता ही नहीं है कि उसकी जमीन का इस्तेमाल दहशतगर्द करते हैं.

वहां की सरकार में बैठे लोग कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है. कट्टरपंथी ताकतों, सेना का प्रभाव वहां साफ दिखता है. जो किसी भी निर्णय को सीधे प्रभावित करता है. भारत ने जब-जब दोस्ती का हाथ बढ़ाया है, उसे सिर्फ धोखा ही मिला है. इसलिए अब सिर्फ बातों से, कड़ी निंदा करने से काम नहीं चलेगा हमें कड़े फैसले लेने होंगे.

आंतकवाद को आप बातचीत से नहीं सुलझा सकते. पाक में फल-फूल रहे यह आंतकी भारत - पाक रिश्तों में सबसे बड़ा रोड़ा है. यह रोड़ा सर्जिकल स्ट्राइक से ही दूर होगा. पाक को अब यह तय करना होगा कि वो अभी हर आतंकवादी घटना के बाद यह सफाई देते रहना चाहता है कि उसके यहां से कोई आतंकवादी गतिविधियां संचालित नहीं हो रही है. या आतंकवाद को खत्म करना चाहता है. क्योंकि अब सिर्फ जादू की झप्पी नहीं मिलेगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
×
×