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‘देश की खातिर मर मिटते सब, ये इस देश की खूबी’

यहां नेहरू, यहां अब्दुल कलाम,यहां इंदिरा, यहां मोदी,लेकिन देश की खातिर सब मर मिटते.

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इस देश में वो खूबी

जो ढ़ूंढने से भी नहीं मिलती,

कहीं हरियाली, कहीं पहाड़,

कहीं ‌है रेगिस्तान.

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कहीं जंगल, कहीं समंदर.

कहीं नदियां और कहीं सफेद बर्फ.

इस देश में ये खूबी.

कहीं मंदिर, कहीं मस्जिद,
कहीं गिरजा और कहीं गुरुद्वारा,
यहां सबधर्मो का बाड़ा.

इस देश की ये खूबी.

यहां ताजमहल, यहां नारीमैन प्यांट,

और यहां ही है धारवी, फिर भी हमारी अच्छी दोस्ती.

इस देश में ये है खूबी.

यहां भांगड़ा, यहां कुचीपुड़ी,

यहां कथकली,और यहां हैं बीहू,

फिर भी सब इकट्ठे दिखते.

इस देश की ये खूबी.

यहां तेंदुलकर, यहां पेयस, यहां छेत्री,

यहां सिंधु, ओलंपिक में सब होते तिरंगें के नीचे.

इस देश की ये खूबी.

यहां नेहरू, यहां अब्दुल कलाम,

यहां इंदिरा, यहां मोदी,

लेकिन देश की खातिर सब मर मिटते.

ये इस देश की खूबी.

-अनिल कुमार जायसवाल

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यहां नेहरू, यहां अब्दुल कलाम,यहां इंदिरा, यहां मोदी,लेकिन देश की खातिर सब मर मिटते.
इस गणतंत्र दिवस, ‘हिंदुस्तान’ के नाम अपने एहसासों को शब्दों के सहारे बताइए.
फोटो:क्विंट हिंदी

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