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शाहीन बाग में सड़क हुई 'गायब', हादसे को दावत देते दर्जनों खुले गटर | My Report

Shaheen Bagh में सड़क का उपयोग करते समय बेहद सावधान रहना होता है क्योंकि वहां पांच से अधिक मैनहोल हैं, जो या तो खुले हैं या टूटे हुए हैं।

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दिल्ली (Delhi) के शाहीन बाग ने CAA-NRC विरोधी प्रदर्शन के केंद्र के रूप में दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई. हालांकि, इसके निवासी अब नई मुश्किलों से जूझ रहे हैं. खुले हुए गटर, उफनती नालियां और हर कोने में कचरे-गंदगी के ढेर शाहीन बाग की हालात को बयान करते हैं.

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'खुले हुए गटर हादसों को दावत दे रहे'

शाहीन बाग का मुख्य बाजार रेहान रोड या हाई टेंशन रोड से लगा है. सड़क के किनारे कई मैनहोल खुले छोड़ दिए गए हैं, जिनमें गंदा सीवेज बहकर सड़क पर फैल जाता है.

समस्या की गंभीरता को समझने के लिए मैंने यहां के निवासियों, दुकानदारों और यात्रियों से बात की.

सब्जी बेचने वाले मोहम्मद नईम ने अपना ठेला एक खुले हुए गटर के ठीक सामने लगाया हुआ था. उन्होंने कहा कि,

"गटर पिछले 5-6 महीने से खुला हुआ है, जिसकी वजह से आने-जाने वालों को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कुछ दिन पहले एक स्कूली बच्चा नाले में गिर गया था. फिर, एक और हादसा हुआ- एक बुजुर्ग अपने स्कूटर के साथ नाले में गिर गए थे.”

शाहीन बाग में सड़क पर चलते वक्त बेहद सावधान रहना पड़ता है. यहां हर 10 मीटर पर गटर का ढक्कन है जो या तो खुला हुआ है या टूटा हुआ. ये सभी खुले हुए गटर हादसों को दावत दे रहे हैं.

शाहीन बाग में खुला हुआ गटर लोगों के लिए स्वास्थ्य को लेकर भी चिंताएं पैदा कर रहा है. दुर्गंध के साथ गंदगी के बीच रहना एक चुनौती बन गया है.

शाहीना परवीन बताती हैं-

"यहां गंदगी है और बहुत दुर्गन्ध है. सड़क पर गंदगी बहती रहती है. इतनी गंदगी है कि हम यहां कुछ खा भी नहीं सकते हैं."
शाहीना परवीन

मैंने शाहीन बाग के इस मुद्दे को लेकर स्थानीय पार्षद से बात की. MCD काउंसलर अरीबा खान के मुताबिक, सीवेज दिल्ली जल बोर्ड के अंतर्गत आता है, जिसका प्रबंधन दिल्ली सरकार करती है, इसलिए गटर कि मरम्मत उनके दायरे से बाहर है.

"रमजान के दौरान, अबुल फजल एन्क्लेव और शाहीन बाग के दो सीवेज की डीसिल्टिंग मैंने करवाई थी. केवल डीसिल्टिंग की जिम्मेदारी एमसीडी के अंतर्गत आती है. हम किसी तरह सीवेज के लिए कैप की व्यवस्था करने में भी कामयाब रहे. ऐसा नहीं है कि समस्या का समाधान करने के लिए हमने कोशिश नहीं की, हमने काम पूरा करने का प्रयास किया"

जिम्मेदारी चाहे दिल्ली जल बोर्ड की हो या दिल्ली सरकार, सच तो यह है कि नालियां खुली हैं और पानी बह रहा है. और निवासियों के पास गंदगी के बीच रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरीज सिटिजन जर्नलिस्ट द क्विंट को सबमिट करते हैं . हालांकि द क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों/आरोपों की जांच करता है, रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त किए गए विचार सिटिजन जर्नलिस्ट के अपने हैं. द क्विंट न तो इसका समर्थन करता है और न ही इसके लिए जिम्मेदार है.)

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