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मेरठ: गंदे नाले से लोगों को मलेरिया और डेंगू का खतरा

मेरठ में अबू लेन से रजबन तक गंदा नाला खुला छोड़ दिया गया है 

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अगस्त 2020 में, मेरठ को आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने अपनी स्वच्छ सर्वेक्षण रिपोर्ट में देश के सबसे गंदे शहरों की सूची (10 लाख से अधिक जनसंख्या के साथ) में सातवें स्थान पर रखा था.

मेरे जैसे निवासी के लिए, ये आश्चर्य की बात नहीं है. रैंकिंग में खराब प्रदर्शन के बावजूद, अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता है. अगर मेरठ गंदगी वाले शहरों की रैंकिंग में और भी गिरेगा, तो शहर के बीचों-बीच खुला हुआ नाला अबू नाला निश्चित रूप से इसमें अहम रोल अदा करेगा.

“इस खुले नाले के कारण यहां बहुत गंदगी है. दिन भर बदबू आती रहती है. इस इलाके में काम करना या बैठना बहुत मुश्किल होता है. हर शाम मच्छर हमारे घरों भिन्नाते रहते हैं.”
कार्तिक, स्थानीय

अबू लेन के निवासियों ने इस मुद्दे के बारे में कई बार अधिकारियों से शिकायत की, लेकिन कोई कदम नहीं उठाए जाते हैं. क्षेत्र बीमारियों का केंद्र बन गया है.

अबू लेन की रहने वाली गीतिका अग्रवाल कहती हैं, "जब भी हम शिकायत करते हैं, कोई भी कार्रवाई नहीं होती है."

“यहां बहुत मच्छर हैं, यही कारण है कि इतने सारे लोग मलेरिया और डेंगू से पीड़ित हैं.”
गीतिका अग्रवाल, स्थानीय

अबू नाला को कई प्वाइंट पर कवर किया गया है, लेकिन इसे रजबन से अबू लेन तक खुला छोड़ दिया गया है, जो निवासियों के लिए सही नहीं है.

“इस नाले के कारण बहुत समस्याएं हैं. या तो सरकार को एक पाइप लाइन बिछानी चाहिए ताकि गंदा पानी उस पर से बह जाए या पूरे क्षेत्र को कवर कर दे. नाले को ढंकना सबसे अच्छा विकल्प है, ताकि जगह को बाजार या पार्किंग स्थल के रूप में इस्तेमाल किया जा सके. ”
संजय मारवाह, स्थानीय

हमें उम्मीद है कि इस जरिए, अधिकारी हमारी चिंताओं को सुनेंगे और इस मुद्दे को सुलझाएंगे ताकि हम एक स्वस्थ वातावण में रह सकें.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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