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हिमालय के कोरोना वीर: ये मरीजों के लिए ग्लेशियर चढ़ते हैं

रंग समुदाय के सदस्यों ने उत्तराखंड के गांवों में कोविड-19 से जुड़ी मेडिकल सुविधाएं पहुंचाई

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वीडियो प्रोड्यूसर: माज़ हसन

वीडियो एडिटर: अभिषेक शर्मा

कोविड-19 (COVID-19) महामारी की दूसरी लहर से देश का कोई भी भाग अछूता नहीं रहा. यहां तक कि हिमालय की तलहटी में उत्तराखंड के अंदरूनी और दूरदराज के गांवों के लोग भी इसकी चपेट में आ गए.

खराब सड़कें और खराब कनेक्टिविटी के कारण अधिकारी भी इन गांवों तक नहीं पहुंच पाते हैं. ऐसे इलाकों के लोगों के सामने आने वाली कठिनाइयों को देखते हुए, शहरों में रहने वाले रंग कम्युनिटी के सदस्यों ने कोविड-राहत मिशन के साथ अपने गृहनगर जाने का फैसला किया.

2,000 मीटर से 3,600 मीटर की ऊंचाई तक वाले इन गांवों में, वॉलेंटियर्स के लिए राहत सामग्री ले जाना एक मुश्किल काम था. रंग कल्याण संस्था के सदस्य धारचूला के सुदूर इलाकों के 43 रंग गांवों में पहुंचे और कोविड-राहत किट वितरित की, जिसमें दवाएं, ऑक्सीमीटर, थर्मामीटर, थर्मल स्कैनर, मास्क, दस्ताने, सैनिटाइजर और पीपीई शामिल थे.

धारचूला तहसील के अधिकांश गांव, जहां हम सहायता देने में कामयाब रहे, वहां अच्छी सड़कें और दूरसंचार सेवाएं भी नहीं हैं. जब मौसम खराब हुआ और बारिश हुई, तो सड़कें ब्लॉक हो गईं. तब इन क्षेत्रों तक पहुचने के लिए परिवहन का एकमात्र साधन - 4×4 वाहन - भी आगे जाने में नाकामयाब रहा.

ऐसी स्थिति में, वॉलेंटियर्स को अपने कंधों पर राहत सामग्री लेकर कई घंटों तक पहाड़ों और ग्लेशियरों के बीच से गुजरना पड़ता था.

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स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से, इन गांवों में वायरस के प्रसार से बचने के लिए टेस्टिंग कैंप भी स्थापित किए गए थे क्योंकि सबसे नजदीकी अस्पताल धारचूला में है, जो कि आखिरी भारतीय रंग गांव, कुटी से 75 किमी दूर है.

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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