वीडियो एडिटर: राहुल सांपुई
वीडियो एडिटर: देबायन दत्ता
पश्चिम बंगाल के नादिया जिले का सान्यालचर गांव हर साल नदी के कटाव से प्रभावित होता है. जून में, हमने गांव का दौरा किया और स्थानीय लोगों से इस समस्या के बारे में बात की.
सान्यालचर के निवासी ज्यादातर पेशे से किसान, मछुआरे और नाविक हैं.
रोजी-रोटी के लिए, अधिकांश लोग नदी के पास रहते हैं जो दुर्भाग्य से, उन्हें कटाव का शिकार बनाता है.
स्थानीय लोगों को लगता है कि मॉनसून की वजह से उन्हें काफी समस्याएं झेलनी पड़ती है. भारी बारिश की वजह से गंगा का पानी हर साल बढ़ जाता है और कई बार उनके घरों को बहा ले जाता है. ये साल-दर-साल की समस्या है.
भौगोलिक स्थिति और लोगों की आर्थिक स्थिति इस इलाके को काफी संवेदनशील बनाती है.
ग्लोबल वार्मिंग जैसे जलवायु परिवर्तन की वजह से भी समुद्र तल की ऊंचाई बढ़ती है, जिससे गंगा ओवरफ्लो होती है और विनाशकारी बाढ़ का रूप ले लेती है. फरक्का बैराज की वजह से भी नदी के कुदरती बहाव में रुकावट पैदा होती है.
स्थानीय लोगों का कहना है कि उनके घर बार-बार तबाह हो जाते हैं. वे पास के छार में पलायन करते हैं, दोबारा एक नया घर बनाते हैं. लेकिन, वो अगली बार फिर से घर के बह जाने के डर के साथ जीने के लिए मजबूर रहते हैं.
लेकिन वे क्या कर सकते हैं?
यहां के रहवासी ऊपरी इलाके में जमीन खरीदने के लिए आर्थिक रूप से भी सक्षम नहीं हैं. उन्हें एकमात्र उम्मीद सरकार से है.
‘आखिर कब मिलेगा हमारा घर?’
गांव के दौरे के दौरान, ज्यादातर लोगों ने हमें बताया कि सरकार कटाव और बाढ़ से प्रभावित लोगों को आवास योजना के तहत अच्छी खासी रकम देती है ताकि वे दूसरी जगहों पर अपना घर बना सकें. लेकिन साथ ही वो ये कहते हैं कि इतनी सी मदद काफी नहीं है.
इस सरकारी प्रक्रिया में समय भी लगता है.
हालांकि, नई सत्तारूढ़ पार्टी ने चीजों में सुधार लाने का वादा किया है फिर भी इन लोगों का मानना है कि हालात वैसे ही रहेंगे जैसे हैं.
हमारा घर 3-4 बार बह गया. हम कई बार इस गांव से उस गांव गए. हमारी सरकार से अपील है कि इसका समाधान निकालें. जो भी सरकार कहेगी हम करेंगे.
क्या इस बार नई सरकार, इस समस्या से यहां के लोगों को छुटकारा दिलाएगी?
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