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स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी की मौत, दिल्ली के अस्पताल पर गंभीर आरोप

बिल भुगतान को लेकर परिवार ने अस्पताल पर लगाया दुर्व्यवहार का आरोप

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स्वतंत्रता संग्राम सेनानी (Freedom Fighter) इनायत अली शाह (Inayat Ali Shah) की विधवा सुरैया बेगम ने 7 नवंबर को दिल्ली के एस्कॉर्ट हॉस्पिटल (Escort Fortis Hospital, Delhi) में 10 दिन बिताने के बाद अपनी आखिरी सांस ली.

दिल्ली सरकार की नीति के मुताबिक स्वतंत्रता सेनानी और उनके पति/पत्नी का मेडिकल में लगने वाला सारा खर्च 'फ्रीडम फाइटर सेल' से दिया जाएगा. 87 साल की स्वतंत्रता सेनानी के परिवार का दावा है कि भुगतान के चलते उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ.

मेरी सास एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी हैं, उन्हें ओखला के एस्कॉर्ट फोर्टिस में 29 अक्टूबर को भर्ती कराया गया. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और वो ढंग से खाना नहीं खा पा रही थीं. उनकी दिक्कत को देखते हुए हम उन्हें जल्द अस्पताल ले आए, जहां उन्हें तुरतं वेंटिलेटर पर रखा गया. हमने अगले ही दिन 1 लाख 20 हजार की डाउनपेमेंट कर दी (वेंटिलेटर पर रखे जाने के दो दिन के भीतर). 7 नवंबर को मेरे पति को एस्कॉर्ट हॉस्पिटल के सिक्योरिटी गेट पर रोक लिया गया और उनसे कहा गया कि वो अंदर नहीं जा सकते. उनसे कहा गया कि आपको पहले सिक्योरिटी ऑफिस जाने की जरूरत है जब मेरे पति वहां पहुंचे तो उनसे कहा गया कि अभी बिल का भुगतान बाकी है, आप मरीज से नहीं मिल सकते.
रूबी शाह, सुरैया बेगम की बहू

द क्विंट को दिए बयान में एस्कॉर्ट फोर्टिस ने दावा किया कि सुरैया बेगम के भर्ती होने के 6 दिन बाद तक अस्पताल को उनके स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पत्नी होने के बारे में जानकारी नहीं थी. वहीं परिवार का कहना है कि उन्होंने भर्ती के वक्त ही अस्पताल को पूरी जानकारी दी थी.

'फ्रीडम फाइटर सेल' ने द क्विंट को बताया कि अस्पताल में कैशलेस सुविधा नहीं है इसलिए अस्पताल में परिवार जो भी पैसा भरेगा उसे सेल बाद में परिवार को चुका देगी.

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घटना के दो घंटे बीत जाने के बाद, अस्पताल प्रशासन ने मेरे पति को बुलाया और कहा कि मरीज की हालत काफी गंभीर होती जा रही है, जल्द उनसे आकर मिलें, अब उनके पास ज्यादा वक्त नहीं है. इससे पहले कि मेरे पति वहां पहुंच पाते, उन्होंने मेरी सास को वेंटिलेटर से हटा दिया था जैसे ही मेरे पति वहां पहुंचे, मेरी सास ने अपनी आखिरी सांस ली.
रूबी शाह, सुरैया बेगम की बहू

एस्कॉर्ट ने द क्विंट के सवालों के जवाब में कहा-

''मरीज को भर्ती कराते वक्त, परिवार ने अस्पताल को नहीं बताया था कि मरीज एक स्वतंत्रता सेनानी की पत्नी हैं, ना ही इस बारे में कोई दस्तावेज दिए गए थे भर्ती के वक्त मरीज के परिवार ने एक शपथ पत्र दाखिल कर नगद भुगतान की बात कही थी. मरीज को भर्ती करने के 6 दिन के बाद, 4 नवंबर को परिवार ने GNCT से अधिकृत एक दस्तावेज जमा किया जिसे 3 नवंबर, 2020 को जारी किया गया था. दस्तावेज को देखने के बाद परिवार को भरोसा दिलाया गया था कि उन्हें GNCT गाइडलाइन के हिसाब से सुविधाएं दी जाएंगी''

(सभी 'माई रिपोर्ट' ब्रांडेड स्टोरिज सिटिजन रिपोर्टर द्वारा की जाती है जिसे क्विंट प्रस्तुत करता है. हालांकि, क्विंट प्रकाशन से पहले सभी पक्षों के दावों / आरोपों की जांच करता है. रिपोर्ट और ऊपर व्यक्त विचार सिटिजन रिपोर्टर के निजी विचार हैं. इसमें क्‍व‍िंट की सहमति होना जरूरी नहीं है.)

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