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उ.कोरिया, बहरीन, कांगो.. कौन से देश 15 अगस्त को मनाते हैं स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त के दिन भारत के अलावा और कौन-कौन से देश आजाद हुए हैं?

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15 अगस्त को दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत, अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. क्या आपको पता है कि 15 अगस्त के दिन न सिर्फ भारत, बल्कि दुनिया के 5 और देश भी आजाद हुए हैं. इनमें से 3 देश भारत की आजादी से पहले और 2 देश भारत के आजाद होने के बाद इसी दिन विदेशी चंगुल से मुक्त हुए हैं.

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लिकटेंस्टाइन (Liechtenstein)

स्विट्जरलैंड और ऑस्ट्रिया की सीमाओं के बीच बसा देश लिंचस्टीन, भारत के आजाद होने के पहले से ही 15 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता रहा है. यहां पर जर्मनी का शासन था. 1866 में इसे जर्मनी से पूर्ण आजादी मिली. अब यह संवैधानिक राजशाही है. यहां पर एक रोचक परंपरा है, आजादी के जश्न के दिन यहां के आम लोग रॉयल फैमिली से बातचीत करते हैं. यह दुनिया का छठा सबसे छोटा देश है.

उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया (North Korea and South Korea)

भारत के आजाद होने के 2 साल पहले उत्तर कोरिया और दक्षिण कोरिया को जापान से आजादी मिली थी. अमेरिका और सोवियत की सेनाओं ने इस कोरियाई प्रायद्वीप को जापान से आजाद कराया था. 15 अगस्त 1945 की सुबह दक्षिण कोरिया को और शाम के वक्त उत्तरी कोरिया को जापान से आजादी मिली. आजादी के 3 साल बाद Kim Il-sung उत्तर कोरिया के पहले प्रमुख बने और Syngman Rhee दक्षिण कोरिया के पहले राष्ट्रपति बने. दक्षिण कोरिया में आजादी के दिन शादी करने की परंपरा है.

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रिपब्लिक ऑफ कांगो (Republic of Congo)

80 साल की लंबी आजादी के बाद 1960 में 15 अगस्त को कांगो फ्रांस की गुलामी से पूरी तरह आजाद हुआ था. यह दिन 'कांगोलीज नेशनल डे' के तौर पर मनाया जाता है.
आजादी के बाद 'फुलबर्ट यूलू' (Fulbert Youlou) इस देश के पहले राष्ट्रपति बने. पहले यह फ्रेंच कॉन्गो के नाम से जाना जाता था, फिर 1903 से मिडिल कॉन्गो के नाम से जाना जाने लगा और आजादी के बाद इसका नाम हुआ रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो.

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बहरीन (Bahrain)

भारत को स्वतंत्रता देने के 24 सालों बाद 1971 में अंग्रेजों ने इस देश को भी 15 अगस्त के ही दिन आजाद किया था.
हालांकि ब्रिटेन की सेना 1960 के दशक से ही बहरीन से जाने लगी थी. एक लंबे संघर्ष के बाद संयुक्त राष्ट्र द्वारा बहरीन की जनता के बीच एक सर्वे कराया गया. जिसके उपरांत दोनों देशों ने 'मित्र संधि' की और अंततः बहरीन को अंग्रेजी हुकूमत से मुक्ति मिली.

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