मोदी सरकार पर अरुणाचल की लोकतांत्रिक ढंग से निर्वाचित सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाते हुए अरुणाचल के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी ने रविवार को कहा कि कालीखो पुल की सरकार असंवैधानिक और अवैध है.
तुकी ने मीडिया से बातचीत में कहा, “केंद्र सरकार ने कानून व्यवस्था की खराब स्थिति के नाम पर मेरी सरकार को गिरा दिया. ये अन्य गैर भाजपा शासित राज्यों में भी संविधान के अनुच्छेद 356 का दुरुपयोग करेंगे और अरुणाचल की तर्ज पर असंवैधानिक सरकार को स्थापित करेंगे.”
वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने सवालिया लहजे में कहा कि क्यों नहीं केंद्र सरकार भाजपा शासित महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाती है जहां सरकारें किसानों की आत्महत्या, भर्ती घोटाले समेत अन्य मुद्दों को सुलझाने में विफल रही हैं.
उन्होंने पुल को शपथ दिलाने के लिए प्रदेश के राज्यपाल जेपी राजखोवा की भी आलोचना की.
संसदीय परंपरा के अनुसार राज्यपाल को चाहिए था कि एकल बहुमत दल को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते, लेकिन महामहिम ने ऐसा नहीं किया और कालिखो पुल को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिला दी जबकि वह कांग्रेस विधायक दल के नेता तक नहीं थे। हालांकि वह जानते थे कि मामला कोर्ट में लंबित है, फिर भी उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग किया जो संसदीय लोकंत्र के लिए शुभ संकेत नहीं है.नबाम तुकी, पूर्व मुख्यमंत्री, अरुणाचल प्रदेश
पूर्व मुख्यमंत्री ने राज्यपाल राजखोवा को तुरंत हटाने की मांग भी की. उन्होंने कहा कि राज्यपाल ने संविधान की रक्षा करने की जगह उसकी हत्या कर दी.
अरुणाचल: शपथ-ग्रहण की वैधता पर विचार करेगा सर्वोच्च न्यायालय
सर्वोच्च न्यायालय अरुणाचल प्रदेश के नए मुख्यमंत्री कालिखो पुल के शपथ-ग्रहण की वैधता पर विचार करेगा. न्यायालय ने सोमवार को इससे संबंधित याचिका स्वीकार कर ली. यह याचिका अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नबाम तुकी और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष नबाम रेबिया ने दाखिल की है, जिसमें शुक्रवार रात पुल के मुख्यमंत्री के रूप में अचानक शपथ लेने पर सवाल खड़े किए गए हैं.
इस याचिका पर सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति जगजीत सिंह केहर की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ करेगी.
वरिष्ठ अधिवक्ता फली नरिमन और कपिल सिब्बल ने न्यायमूर्ति केहर की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष यह मामला रखा.
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