नयी दिल्ली, 26 जनवरी (भाषा) राजस्थान के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने सरकार और कांग्रेस संगठन के बीच बेहतर तालमेल के लिए समन्वय समिति के गठन को ‘अच्छा कदम’ करार देते हुए रविवार को कहा कि चुनावों में जीत दिलाने के लिए संघर्ष करने वाले लोगों को यह महससू होना चाहिए कि वो भी प्रदेश की कांग्रेस सरकार का अहम हिस्सा हैं।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि राजस्थान की सात करोड़ जनता ने कांग्रेस में विश्वास जताया एवं उसके लिए वोट किया और इसके बाद पार्टी ने निर्णय लिया कि मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और मंत्री कौन लोग बनेंगे।
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पायलट ने यह टिप्पणी उस वक्त की है जब राज्य के कोटा में नवजात बच्चों की मौत के मुद्दे को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की आलोचना हुई और सरकार एवं संगठन के बीच बेहतर तालमेल सुनिश्चित करने तथा चुनावी वादों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए हाल ही में सोनिया गांधी ने समन्वय समिति एवं घोषणापत्र क्रियान्वयन समिति का गठन किया।
पायलट ने ‘पीटीआई-भाषा’ को दिए साक्षात्कार में कहा कि सरकार का हिस्सा होने और पीसीसी प्रमुख के तौर पर यह उनकी जिम्मेदारी है कि पार्टी को दोबारा सत्ता में लाने के लिए कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए संघर्ष को पहचाना जाए।
उन्होंने पिछले सप्ताह ही प्रदेश पार्टी अध्यक्ष के रूप में छह साल पूरे किए हैं । वह कांग्रेस की राज्य ईकाई के अब तक के सबसे लंबे समय तक अध्यक्ष बने रहने वाले नेता हैं ।
पायलट ने कहा कि विपक्ष में रहने और संघर्षों के दिनों में पार्टी अध्यक्ष के रूप में राज्य के लोगों के साथ उनका अलग तरह का संबंध विकसित हुआ है और यही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है।
उप मुख्यमंत्री लगातार इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सरकार को लोगों तक पहुंचाना चाहिए। उन्होंने कोटा के एक सरकारी अस्पताल में 100 से ज्यादा नवजात बच्चों की मौत के मामले में जिम्मेदारी तय करने की बात कही थी ताकि इस तरह की दुखभरी घटना दोबारा न हो सके।
पायलट ने कहा, ‘‘ हमें इन मामलों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। सुशासन जिम्मेदारी और जवाबदेही सुनिश्चित करने से आता है। ऐसा करने से कम से कम यह तय होता है कि ऐसी दुख भरी घटना दोबारा नहीं होगी और सुधारात्मक कदम तत्काल उठाया जाए।’’
उन्होंने कहा कि इस तरह के मामलों में बेहद संवेदनशीलता और दया की भावना दिखानी चाहिए और लोगों को यह विश्वास होना चाहिए कि ऐसे कदम उठाए गए हैं जिससे ऐसी घटनाएं दोबारा नहीं होंगी।
पायलट पहले कोटा के मामले में यह कह चुके हैं कि सरकार और अधिक संवेदनशीलता दिखा सकती थी और उन्होंने कुछ मृत बच्चों के माता-पिता से भी मुलाकात की थी।
समन्वय समिति और घोषणापत्र क्रियान्वयन समिति के गठन पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ मेरा मानना है कि यह अच्छा कदम है। कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने जिन्होंने सच में संघर्ष किया और चुनाव जिताया, उनके योगदान को जरूर पहचान मिलनी चाहिए। उन्हें यह विश्वास दिलाया जाना चाहिए कि वह सरकार का अहम हिस्सा हैं।’’
निश्चित रूप से इस कदम से जमीनी स्तर के कार्यकर्ताओं का विश्वास और मजबूत होगा।
संगठन के भीतर इससे लोगों की आवाज को मुखरता प्रदान करने के संबंध में पूछे गए एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ जब आप विपक्ष में होते हैं तो पार्टी का महत्व बहुत ज्यादा होता है। लेकिन जब आप सरकार में आते हैं तो कभी-कभी पार्टी को हल्के में ले लेते हैं, ऐसा नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने कहा कि दो समितियां हैं और उनका मानना है कि दोनों ही सरकार के कामों को जमीन तक पहुंचाने में सकारात्मक परिणाम देंगी।
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह पार्टी प्रमुख के रूप में दूसरे कार्यकाल के लिए तैयार थे तो उन्होंने कहा कि वह हमेशा किसी भी जिम्मेदारी के लिए तैयार रहते हैं और इसे पूरी गंभीरता और ईमानदारी से पूरा करते हैं।
आरपीसीसी प्रमुख और सरकार में भूमिका को लेकर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘ जब मैं अपने लिए लक्ष्य तय कर लेता हूं, तो मैं उसे हासिल करने के लिए आगे बढ़ता हूं। मैं ग्रामीण विकास, पंचायती राज देख रहा हूं जो ग्रामीण लोगों और किसान समुदाय पर असर डालता है। इसलिए हमने यह सुनिश्चित किया कि बजट बढ़े, योजनाओं का लाभ दूरदराज तक पहुंचे और इन पर कड़ी निगरानी रखी जाए।’’
उन्होंने इस दौरान पार्टी द्वारा स्थानीय निकाय चुनावों में तीन चौथाई सीटें जीतने की भी बात की।
वहीं संशोधित नागरिकता कानून के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सभी का यह अधिकार है कि उसे जो गलत लगता है, उसके खिलाफ खड़ा हो।
पायलट ने कहा, ‘‘ संसद ने एक कानून पारित किया है क्योंकि संसद में भारत सरकार बहुमत में है लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि उसे कानूनी आधार पर उच्चतम न्यायालय से भी अनुमति मिल जाए।’’
उन्होंने कहा कि सीएए के कानूनी आधार को लेकर अंतिम फैसला उच्चतम न्यायालय से आएगा लेकिन प्रत्येक व्यक्ति के पास विरोध का भी अधिकार है और सरकार इसमें बदलाव कर सकती है, वापस ले सकती है या कानून को बदल सकती है, जैसा उसे ठीक लगे।
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