कोलकाता नगर निगम (केएमसी) चुनाव से एक दिन पहले, पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पसंदीदा परियोजना मां कैंटीन में वित्तीय संलिप्तता का विवरण मांगने के साथ ही एक नए विवाद को जन्म दे दिया है।
गरीबों को रियायती मूल्य पर पका हुआ भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य की तृणमूल कांग्रेस सरकार फरवरी में मां कैटीन योजना शुरू की थी। इस प्रोजेक्ट के लिए राज्य सरकार ने गरीबों को विशेष रूप से लॉकडाउन के दौरान रियायती दरों पर भोजन उपलब्ध कराने के लिए 100 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं।
पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने शनिवार को दावा किया कि उन्होंने गौर किया है कि मां कैंटीन योजना के लिए धनराशि को असंवैधानिक रूप से गलत जगह लगाया गया है।
ममता सरकार और राजभवन के बीच टकराव थमने का नाम नहीं ले रहा है। बंगाल के राज्यपाल धनखड़ ने अब ममता सरकार की मां कैंटीन योजना पर सवाल उठाते हुए इस पर खर्च का लेखा-जोखा मांगा है। राज्यपाल ने शनिवार को दावा कि उन्होंने गौर किया कि मां किचन योजना के लिए धन को असंवैधानिक रूप से गलत जगह लगाया गया।
राज्यपाल ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से किए गए एक ट्वीट के जरिए इस मुद्दे को उठाया है। राज्य के वित्त विभाग के प्रधान सचिव को लिखे पत्र में राज्यपाल ने मां कैंटीन परियोजना में वित्तीय भागीदारी का विवरण मांगा है।
उन्होंने वर्ष 2021-22 के बजट दस्तावेज का हवाला देते हुए कहा है कि इसके तहत योजना का परिचालन मौजूदा वित्त वर्ष में एक अप्रैल से होना था, जिसके लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया, लेकिन यह योजना मध्य फरवरी से बिना किसी वैध कोष के चल रही थी।
उन्होंने कहा कि यह दिखाया गया और सार्वजनिक मंचों पर भी बताया गया कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मध्य फरवरी में गरीबों को पांच रुपये में खाना मुहैया कराने के लिए मां कैंटीन की शुरूआत की है। धनखड़ ने आगे कहा कि बजट दस्तावेज बताता है कि वित्तवर्ष 2021-22 के लिए योजना के मद में 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
उन्होंने 31 मार्च तक योजना पर खर्च की गई राशि के स्रोत की जानकारी मांगी है।
उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है, यह स्पष्ट है कि 1 अप्रैल, 2021 से लगभग डेढ़ महीने पहले, यह योजना कार्यात्मक थी और इस अवधि के दौरान इस आशय का कोई वैध आवंटन नहीं था।
राज्यपाल के अनुसार, अनुच्छेद 204 (3) कहता है कि अनुच्छेद 205 और 206 के प्रावधानों के अधीन, इस लेख के प्रावधानों के अनुसार, पारित कानून द्वारा किए गए विनियोग के अलावा राज्य की संचित निधि से कोई पैसा नहीं निकाला जाएगा।
राज्यपाल की ओर से मांगी गई प्रमुख जानकारी :
1) 31.3.2021 को समाप्त वित्तीय वर्ष के दौरान योजना पर खर्च की गई राशि?
2) वित्त पोषण का स्रोत और इस तरह की निधि को मंजूरी देने वाला प्राधिकारी?
धनखड़ ने कहा है कि इस आशय की जानकारी प्रधान सचिव, वित्त विभाग की ओर से आज से एक सप्ताह के भीतर जल्द से जल्द दी जानी चाहिए।
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)