सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बुधवार, 22 मार्च को गुजरात सरकार (Gujarat) के आदेश के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए एक विशेष पीठ गठित करने पर सहमति जताई है. गुजरात सरकार के आदेश में बिलकिस बानो मामले (Bilkis Bano case) में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को समय से पहले ही रिहा करने की अनुमति दी गई थी.
क्या है बिल्किस बानो मामला?
गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के बाद 2002 के दंगों के दौरान हिंदू लोगों को गर्भवती बिल्किस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार करने और उसकी तीन साल की बेटी सहित उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था.
पिछले महीने भी चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि वह मामले की सुनवाई के लिए एक विशेष बेंच का गठन करेंगे. लाइव लॉ के मुताबिक, बानो की वकील शोभा गुप्ता ने कहा है कि इस मामले को शीर्ष अदालत के सामने चार बार पहले ही रखा (मेंशन) जा चुका है, लेकिन इसे अभी सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाना बाकी है:
सबसे पहले पिछले साल 30 नवंबर को सामने रखा (मेंशन) गया
फिर 14 दिसंबर को रखा (मेंशन) गया था और इस साल 2 जनवरी को अस्थायी रूप से सूचीबद्ध किया गया था
20 जनवरी को गुप्ता ने फिर मामले को रखा (मेंशन)
7 फरवरी को चीफ जस्टिस ने याचिकाओं की सुनवाई के लिए एक विशेष बेंच गठित करने पर सहमति व्यक्त की
बानो की वकील शोभा गुप्ता ने बताया कि 41 दिन पहले ही इस मामले को कोर्ट के सामने रखा (मेंशन) गया लेकिन इसे सुनवाई के लिए लिस्ट नहीं किया गया.
बता दें कि, मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी की अगुआई वाली एक पीठ ने कहा था कि गुजरात सरकार के पास 11 दोषियों की माफी याचिकाओं पर विचार करने का अधिकार है क्योंकि अपराध गुजरात में हुआ था.
दोषियों को फिर 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया. बानो ने शीर्ष अदालत के फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की थी, लेकिन अदालत ने पिछले साल दिसंबर में इसे खारिज कर दिया था.
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