बाबा बद्रीनाथ धाम का दरबार सज चुका है. 27 अप्रैल 2023 को बद्रीनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, जिसकी तैयारियां जोरों-शोरों से शुरू हो गई हैं. इसके साथ ही चारधाम की यात्रा भी शुरू हो चुकी है. इससे पहले केदारनाथ धाम के कपाट भी 25 अप्रैल को खोल दिए गए थे.
बता दें, बद्रीनाथ मंदिर के कपाट पिछले साल 20 नवंबर को बंद किया गया था. ऐसे में अब इस साल यानी 2023 में 27 अप्रैल को सुबह 07:10 बजे बाबा के मंदिर का कपाट खोला जाएगा.
यमुनोत्री और गंगोत्री धाम की यात्रा भी शुरू हो गयी है. 25 अप्रैल 2023 को केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए थे. भगवान बद्रीनाथ धाम के कपाट सुबह 7 बजकर 10 मिनट पर पूजा अर्चना और विधी विधान के साथ खोले जाएंगे. कपाट खोलने के अवसर पर बद्रीनाथ मंदिर को तरह-तरह के फूलों से दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है और श्रद्धालुओं में एक अलग ही उत्साह देखने को मिल रहा है.
आदि गुरु शंकराचार्य बद्रीनाथ पहुंचे
आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और मुख्य पुजारी जगद्गुरु रावल भीम शंकर लिंग शिवाचार्य सुबह रवाना हुए जो बद्रीनाथ पहुंच चुके हैं. मंदिर को करीब 20 क्विंटल फूलों से सजाया गया है. जोशीमठ नृसिंह मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना के बाद आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी, गाडू घड़ तेल कलश यात्रा और बद्रीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी व अन्य वेदपाठी योग बदरी मंदिर पांडुकेश्वर के लिए रवाना हो गए हैं.
प्रधान शिवाचार्य रावल ने इससे पूर्व नृसिंह मंदिर में पूजा-अर्चना संपन्न की, इस दौरान भक्तों के जय बद्रीविशाल के जयकारों से जोशीमठ गुंज उठा.
पिछले साल 2022 में बद्रीनाथ धाम में 17 लाख 60 हजार 646 श्रद्धालु पहुंचे थे. इसके बाद 19 नवंबर 2022 को बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा समाप्त हो गई थी.
बद्रीनाथ धाम का महत्व
बद्रीनाथ धाम के बारे में कहा जाता है कि बद्रीनाथ धाम के दर्शन के बिना चार धाम यात्रा पूरी नहीं मानी जाती, ये श्रीहरि विष्णु का निवास स्थल है. बद्रीनाथ के बारे में एक कथा प्रचलित है - 'जो जाए बदरी, वो ना आए ओदरी' जिसका मतलब है जो व्यक्ति बद्रीनाथ के दर्शन कर लेता है, वो दोबारा जन्म नहीं लेता, मोक्ष को प्राप्त होता है.
चार धाम यात्रा में अब नई व्यवस्था के चलते श्रद्धालुओं को टोकन दिया जाएगा. वह किस समय दर्शन कर सकते हैं ये भी बताया जाएगा, ताकि लंबी लाइन में न लगना पड़े.
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