छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर (Raipur) में स्थित पुरानी बस्ती थाना में 5 सितंबर को बजरंगदल के कार्यकर्ताओं ने पास्टर के साथ मारपीट की. पास्टर पर धर्म परिवर्तन कराने का आरोप था. इस घटना के बाद पुलिस इंस्पेक्टर को लाइन हाजिर कर दिया गया, जबकि प्रभारी एसपी और एसपी का ट्रांसफर हो गया. जबकि मारपीट के सात नामजद आरोपियों के खिलाफ दर्ज FIR के बाद दो की गिरफ्तारी हो गई. लेकिन अचानक शांत छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण के नाम पर फैली अशांति का सच क्या है? पढ़िए इस सवाल का जवाब तलाशती क्विंट की यह इनसाइड स्टोरी.
क्या है पूरा मामला?
मामला रायपुर जिले के पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र का है. भटगांव चर्च के पास्टर हरीश साहू पर हिंदुत्ववादी संगठन ने धर्म परिवर्तन के आरोप लगाते हुए पुरानी बस्ती थाना में शिकायत की. जिसके तहत SHO ने पास्टर को थाना बुलाया. जिस समय पास्टर थाना पहुंचे उस वक्त उनके विरोध में बजरंगदल कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव करके नारेबाजी शुरू कर दी. उनके थाना पहुंचते ही SHO पास्टर को लेकर उनके अन्य दो साथियों के साथ थाना स्थित अपने कार्यालय ले गए. यह देख कर हिंदुत्ववादी संगठन के नेता भी SHO के कार्यालय पहुंच गए. जहां उन लोगों ने पास्टर के साथ हाथापाई कर दी.
22 साल से भटगांव चर्च में पास्टर के रूप में प्रेयर करवाने एवं क्षेत्र के जरूरतमंद लोगों की सेवा करने वाले पास्टर हरीश साहू ने क्विंट से बताया कि मैं किसी इसाई संस्था से जुड़ा हुआ नहीं हूं. न ही हमें कहीं से सैलरी मिलती है, न हमारे चर्च को विदेशी फंड की सहूलियत है. हमारे चर्च का खर्च स्थानीय लोगों के दान से चलता है. बावजूद हमारे ऊपर लालच देकर धर्मांतरण का आरोप लगाया गया.
हरीश साहू कहते हैं कि "रविवार को सुबह की प्रेयर खत्म होने के बाद कुछ बाहरी लोगों के साथ आए तीन पुलिस कर्मी ने मुझे चर्च के बाहर बुलाया. जहां मुझ से पूछा कि आप क्या करते हैं, तो मैंने जवाब में कहा कि हम इस चर्च में प्रार्थना करते हैं. इस जवाब पर पुलिसकर्मी ने पूछा कि प्रार्थना करने की परमीशन ली आपने? मैंने जवाब दिया कि जी हमने परमीशन ली है. तब उन्होंने हमारा नाम लिखते हुए कहा कि आप के खिलाफ लिखित शिकायत हूई है कि आप धर्मांतरण कराते हैं.
मैंने पूछा कि किसने शिकायत की, इस सवाल के जवाब में पुलिसकर्मी ने कहा कि हमारे साथ जो लोग आए हैं इन्हीं लोगों ने शिकायत की है, जोकि लोकल लोग हैं. मैंने उन दस लोगों की तरफ देखते हुए पुलिसकर्मी से कहा कि इनमें कोई भी लोकल लोग नहीं हैं, मैं यहां के लोकल लोगों को पहचानता हूं. इस पर पुलिसकर्मी ने जवाब दिया कि यह बजरंग दल कार्यकर्ता हैं. उस वक्त वह सभी चर्च के अंदर जबरन जाना चाहते थे, लेकिन पुलिसकर्मी ने उन सभी को चर्च के अंदर जाने से रोक दिया. साथ ही मुझ से कहा कि आपको आज 12 बजे तक थाना में SHO से मिलना होगा. उसके बाद हम दो अन्य पास्टर के साथ थाना पहुंचे. जहां हम लोगों को देख कर बजरंगदल और आरएसएस के लगभग पचास कार्यकर्ताओं ने हमारे विरोध में नारा लगाना शुरू किया.
हरीश आगे बताते हैं कि- ''SHO ने हम लोगों को थाना स्थित अपने कार्यालय ले गए. उन्होंने हम से पूछताछ करते हुए लिखित शिकायत दिखाई जिसमें लिखा था कि 'हम लोगों को लालच देकर धर्मांतरण कराते हैं.' तभी अचानक बाहर नारा लगाने वाली भीड़ अंदर आ गई और हम लोगों के साथ मार-पीट करने लगी. उस वक्त वहां मौजूद SHO अकेले थे लेकिन उन्होंने हिम्मत दिखाई और बाहर से आए हमलावरों को धक्का देते हुए हम तीनो पास्टर को किसी तरह बचाया. उसके बाद हमारे द्वारा F.I.R दर्ज हुई.
मामले पर प्रशासन ने की कार्रवाई
धर्मांतरण की शिकायत पर थाना में मारपीट और तोड़फोड़ के मामले में रायपुर पुलिस अधीक्षक अजय कुमार यादव, प्रभारी पुलिस अधीक्षक बद्रीनारायण मीणा का ट्रांसफर कर दिया गया. साथ ही पुरानी बस्ती थाना प्रभारी यदुमनी सिदर को लाइन हाजिर कर दिया गया.
जबकि नामजद एफआईआर के तहत सात आरोपी जिनमें संभव शाह, विकास मित्तल, मनीष साहू, शुभंगर द्विवेदी, संजय सिंह, अनुरोध शर्मा, शुभम अग्रवाल एवं अन्य के खिलाफ आईपीसी की धारा 294, 506, 323, 147 और 34 के तहत मामला दर्ज हुआ.
सवाल यह उठता है कि थाने के अंदर असामाजिक तत्वों द्वारा मारपीट किए जाने के बावजूद पुलिस प्रशासन सात नामज़द आरोपियों को गिरफ्तार नहीं कर पाता, क्यों? इस सवाल का जवाब में रायपुर के नए पुलिस अधीक्षक प्रशांत कुमार अग्रवाल ने क्विंट से कहा कि
"मैं वह नहीं बता पाऊंगा, मैंने कल ही ज्वाइन किया है. एफ़आईआर दर्ज है इस पर कार्रवाई होगी."
क्विंट ने सांप्रदायिक मामलों को लेकर शांत रहने वाले छत्तीसगढ़ में क्यों अशांति फैल गई, इस सवाल का जवाब तालशने के दौरान क्विंट ने पाया कि हाल के महीनों में क्रिश्चियन समाज को लगातार टार्गेट किया जा रहा है.
पुरानीबस्ती थाना में मारपीट के विक्टिम पास्टर हरीश साहू ने बताया कि क्रिसमस से पहले नवम्बर में हिंदुत्ववादी संगठन के दो कार्यकर्ता आकर धमकी दे कर गए थे कि अगले हफ्ते हम लोग अपने साथियों के साथ आएंगे. उसके बाद हमने लिखित शिकायत दर्ज कराई जिस पर कार्रवाई करते हुए तत्कालीन पुलिस अधिकारी ने इस मामले को आगे बढ़ने से रोका.
जबकि क्रिश्चियन एक्टिविस्ट सिमोन पतरास ने क्विंट से बताया कि रायपुर की घटना कोई नई घटना नहीं है. पिछले दो महीने में लगभग एक दर्जन से भी अधिक ऐसी घटनाएं घट चुकी हैं. हर घटना में विवाद का केंद्र धर्मांतरण ही रहा है. मेरा सवाल ये है कि यदि धर्मांतरण का मामला कहीं भी दिखाई देता है तो उसकी जांच होनी चाहिए, कहीं गलत हुआ है तो कार्रवाई कीजिए. बलपूर्वक धर्मांतरण की इजाजत तो हमारी बाइबल भी नहीं देती.
जबरन किसी भी मामले को चर्च से जोड़ देना गलत है. दरअसल लंबे समय से लॉकडाउन चल रहा है इस दौरान धार्मिक स्थल बंद हैं तो छत्तीसगढ़ कैसे धर्मांतरण के केस बढ़ गए? आज हाकातवयह हैं कि मुस्लिम हैं तो लव जिहाद, क्रिश्चियन हैं तो धर्मांतरण का आरोप लगा कर अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित किया जा रहा है जो गलत है. छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार के दौरान छिटपुट घटनाओं को छोड़ कर ऐसी कोई घटना नहीं घटी, लेकिन अब ऐसी घटना बढ़ रही हैं. इसका मुख्य कारण भाजपा का एजेंडा है. हाल ही में जगदलपुर में बीजेपी की बैठक के दौरान तय हुआ था कि धर्मांतरण आगामी चुनाव में मुख्य मुद्दा रहेगा. बस यही कारण है कि आज हमारा इसाई समाज भाजपा के राजनीतिक एजेंडे की बलि चढ़ रहा है.
दुर्ग के चर्च से फादर फिलिप का कहना है कि 29 अगस्त को कवरदा ज़िले के पंडरिया ब्लॉक के पॉलमी गांव के चर्च में हिंदुत्व वादी संगठन के द्वारा हमला हुआ. जहां उनकी तोड़फोड़ से हुए नुकसान को लेकर हमारे दो पास्टर दुर्ग से कवरदा भेजे गए. जब वह मामले पर एफआइआर करवाने थाना पहुंचे, तभी वहां रायपुर जैसी घटना घटी, बड़ी संख्या में थाना पहुंचे हिंदुत्व वादी कार्यकर्ता ने थाना के बाहर पास्टर पर हमला किया. जहां से स्थानीय पुलिस ने किसी तरह से एस्कॉर्ट कर के जान बचाई. उसके बाद जब F.I.R हूई तो उन लोगों ने स्टाम्प पेपर पर लिखित आश्वासन दिया कि FIR वापस ले लीजिए हम वापस दोबारा किसी चर्च पर हमला नहीं करेंगे. लेकिन हफ्ता बीता नहीं कि रायपुर में वैसी ही घटना घटित हो गई.
फादर फिलिप हिंदुत्व वादी संगठन द्वारा एक और घटना का जिक्र करते हुए बताया कि
अगस्त के महींने में रायपुर के एक चर्च पर लगातार दो बार हमला एक हफ्ते के अंतराल में हुआ. जिसके बाद अगले रविवार की प्रेयर पुलिस फोर्स की मौजूदगी में हुई. इसी तरह अगस्त के शुरू में राजनंदगांव में चर्च जाने वाले इसाई के घर में हमला हुआ. उनके घर में जो भी क्रिश्चियन धर्म से संबंधित पोस्टर और अन्य सामान मौजूद थे, उसको उसी परिवार द्वारा बाहर निकलवाकर जलवाया गया. तब जिले के क्रिश्चियन लीडर ने एसपी से मुलाकात कर शिकायत दर्ज कराई. बीजेपी ने 13 अगस्त को धर्मांतरण के विरोध में बहुत बड़ी रैली नारायणपुरन में निकाली थी. इसी तरह बालोद जिले में चर्च में घु सकर हिंदुत्व वादी संगठन के कार्यकर्ताओं ने प्रेयर नहीं चलाने की धमकी दी. उसके बाद धर्मांतरण के विरोध में वहां भी रैली निकाली. हाल के दिनों में ऐसी दर्जनों घटनाएं हैं जिनमें छत्तीसगढ़ के क्रिश्चियन टारगेट किए गए.
क्रिश्चियन एक्टिविस्ट सिमोन पतरास और फादर फिलिप के आरोपों पर क्विंट ने बीजेपपी प्रवक्ता अजय चंद्राकर से पूछा कि छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को एजेंडा बना रही है? इस सवाल का जवाब देते हुए अजय चंद्राकर ने कहा कि जोर जबरदस्ती या बहला फुसला कर धर्मांतरण नहीं होना चाहिए. बीजेपी सुकमा के पुलिस अधिकारी के उस लेटर के आधार पर जागरुक है, जिसमें लिखा है कि 'बहुत सतर्क रहने की ज़रूरत है यहां बड़ी संख्या में धर्मांतरण हो रहे हैं.'
वह आगे कहते हैं कि मेरा मानना है कि वर्त्तमान कांग्रेस सरकार के संरक्षण में धर्मांतरण हो रहा है. हमारे 15 साल के कार्यकाल में ऐसी कोई घटना नहीं घटी क्योंकि हमने धर्मांतरण को रोका. अब ये जारी है इस लिए राष्ट्रसंरक्षण के लिए धर्मांतरण का विरोध हो रहा है.
क्विंट ने बीजेपी प्रवक्ता से पूछा कि क्या धर्मांतरण को रोकने के लिए बीजेपी बजरंगदल का सहयोग ले रही है? इस सवाल के जवाब में प्रवक्ता ने कहा कि देखिए बजरंगदल क्या कर रहा है बीजेपी को उससे कोई मतलब नहीं है. भाजपा राष्ट्रसंरक्षण के लिए धर्मांतरण का विरोध करती है.
बजरंग दल के वरिष्ठ नेता दीपक दूबे का कहना है कि जब कोई हिंदू देवी-देवता के खिलाफ अनर्गल बात करके हिंदू धर्म को नीचा दिखाता है और अपने धर्म को बड़ा बताता है तो उसके खिलाफ बजरंगी ने जो कदम उठाया वह गलत नहीं है. रही बात थाने में हाथ उठाने या कानून अपने हाथ में लेने की तो कभी-कभी परिस्थिति बन जाती हैं जब विरोध का ऐसा स्वरूप बन जाता है जो हुआ भी, बाकी कानून जो धाराएं लगाएगा वह लगाए वह उसका काम है.
दीपक दूबे से क्विंट ने पूछा कि क्या बजरंगदल बीजेपी के उस एजेंडे पर काम कर रहा है, जो उन्होंने हालिया बैठकों में धर्मांतरण को लेकर तय किया? इस सवाल का जवाब देते हुए दीपक दूबे ने कहा कि "धर्मांतरण पर बीजेपी का विरोध राजनीतिक लाभ के लिए है. क्योंकि 15 साल के बीजेपी कार्यकाल में क्या धर्मांतरण नहीं हुआ, क्या गऊ हत्या नहीं हुई, अब जब छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव को डेढ़-दो साल बाकी हैं तो बीजेपी धर्मांतरण का विरोध कर रही है, जो सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए है. जबकि बजरंगदल धर्मांतरण का विरोध सिर्फ आस्था के तहत कर रहा है.
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