सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार, 3 जनवरी को अपने एक फैसले में कहा कि एक सिनेमा हॉल के मालिक को वहां आने वाले लोगों को बाहर से मूवी हॉल में खाने-पीने की चीजें ले जाने से रोकने का अधिकार है.
भारत के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि सिनेमा हॉल उस हॉल के मालिक की निजी संपत्ति है और वह इस तरह के नियम और शर्तें रखने का हकदार है, जैसा कि वह उचित समझता है, बशर्ते कि वे सार्वजनिक हित और सुरक्षा के विपरीत न हों.
"एक सिनेमा हॉल के मालिक को बाहर से आने वाले फूड और ड्रिंक्स को रेगुलेट करने का अधिकार है. मूवी हॉल में जो फूड-ड्रिंक उपलब्ध है उसको लेना है या नहीं, यह पूरी तरह से फिल्म देखने वालों की पसंद पर निर्भर है. दर्शक मनोरंजन के लिए हॉल में जाते हैं."SC
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार जजों ने सुनवाई के दौरान एक बार यह भी टिप्पणी की, "क्या हमें थिएटर में जलेबियां लाना शुरू कर देना चाहिए?"
"सिनेमा हॉल कोई जिम नहीं है कि आपको हेल्दी फूड की आवश्यकता है. यह मनोरंजन का एक स्थान है. एक सिनेमा हॉल निजी संपत्ति है. वहां उसका मालिक उसके नियमों पर निर्णय लेगा. यह कहना कि यहां हथियार लाने और जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव की अनुमति नहीं है, ठीक है. लेकिन हाईकोर्ट कैसे कह सकता है कि वे सिनेमा हॉल के अंदर कोई भी खाना ला सकते हैं?"SC
अपने इस फैसले के साथ सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के उस निर्देश को रद्द कर दिया, जिसमें सिनेमा हॉल में अपने खुद के खाने और ड्रिंक्स को ले जाने पर रोक न लगाने के लिए मल्टीप्लेक्स और मूवी थिएटरों को आदेश दिया था.
सुप्रीम कोर्ट थिएटर मालिकों और मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के 2018 के फैसले को चुनौती देने वाली अपीलों के एक बैच पर सुनवाई कर रहा था.
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