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COVID-19 के मामले 11 दिन में हो रहे दोगुने, मृत्युदर 3.2 प्रतिशत

कोविड-19 के मामले 11 दिन में हो रहे हैं दोगुने, मृत्युदर 3.2 प्रतिशत :स्वास्थ्य मंत्रालय

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नयी दिल्ली, 30 अप्रैल (भाषा) देश में कोविड-19 के मामले दुगने होने की दर 11 दिन हो गई है जो लॉकडाउन शुरू होने से पहले 3.4 दिन थी। वहीं संक्रमण से मृत्यु के मामलों की दर 3.2 प्रतिशत है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी स्वास्थ्य केंद्र खासकर निजी क्षेत्र के संस्थान परिचालन जारी रखें और महत्वपूर्ण सेवाएं देते रहें ताकि गैर कोविड-19 रोगियों को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।

स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने एक प्रेस ब्रीफिंग को संबोधित करते हुए कहा कि सात राज्यों में कोविड-19 के मामलों के दोगुने होने की दर राष्ट्रीय औसत से कम है।

उन्होंने कहा कि दिल्ली (11.3), उत्तर प्रदेश (12),जम्मू कश्मीर (12.2), ओडिशा (13), राजस्थान (17.8), तमिलनाडु (19.1) और पंजाब (19.5) में मामलों की संख्या दोगुनी होने की दर 11-20 दिन है।

उन्होंने कहा कि कर्नाटक (21.6), लद्दाख (24.2), हरियाणा(24.4), उत्तराखंड (30.3) और केरल (37.5) में मामलों की संख्या 20 से 40 दिन में दोगुनी हो रही है।

हालांकि अग्रवाल ने कहा कि किसी राज्य में कुल मिलाकर मामले दोगुने होने की दर घटने के बावजूद कुछ जिले हो सकते हैं जिनमें मामले तेज रफ्तार से दोगुने हो रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘और इसलिए, यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि हम चिह्नित हॉटस्पॉट क्षेत्रों में देश के बाकी हिस्सों के साथ-साथ ध्यान केंद्रित करते हुए काम करते रहें।’’

उन्होंने कहा कि देश में कोरोना वायरस संक्रमण से मौजूदा मृत्यु दर 3.2 प्रतिशत है जहां मृतकों में 65 प्रतिशत पुरुष और 35 फीसद महिलाएं हैं।

अधिकारी ने कहा, ‘‘अगर हम आयु के आधार पर संख्या को विभाजित करें तो मौत के 14 प्रतिशत मामले 45 साल की आयु से कम के हैं, 34.8 प्रतिशत मामले 45-60 साल की आयुवर्ग के रोगियों के हैं और 51.2 प्रतिशत मृत्यु के मामले 60 साल से अधिक आयु के लोगों के हैं।’’

उन्होंने कहा कि संक्रमण से मौत के 78 प्रतिशत मामलों में रोगियों को मधुमेह, उच्च रक्तचाप, किडनी और हृदय संबंधी गंभीर रोग होने का भी पता चला है और इस लिहाज से उम्र तथा अन्य गंभीर बीमारियां जोखिम वाले कारक हैं।

अग्रवाल ने कहा कि निजी क्षेत्र के कुछ अस्पताल स्थिति की समझ नहीं होने और डर के कारण अपने नियमित रोगियों को डायलिसिस, कीमोथेरेपी, खून चढ़ाने और प्रसूति जैसी अहम सेवाएं देने में भी हिचक रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘कुछ मामलों में लोगों ने अपने क्लीनिक बंद कर रखे हैं, वहीं कुछ लोग उक्त सेवाएं देने से पहले कोरोना वायरस की जांच कराने पर जोर दे रहे हैं।’’

अग्रवाल के मुताबिक मंत्रालय ने राज्यों से कहा है कि वे सुनिश्चित करें कि सभी स्वास्थ्य केंद्र खासकर निजी क्षेत्र के संस्थान परिचालन जारी रखें और महत्वपूर्ण सेवाएं देते रहें ताकि रोगियों को मुश्किलों का सामना नहीं करना पड़े।

उन्होंने कहा, ‘‘जांच के संदर्भ में यह रेखांकित करना होगा कि स्वास्थ्य केंद्रों को जांच प्रोटोकॉल के अनुसार ही जांच का परामर्श देना चाहिए।’’

जांच बढ़ाये जाने के संबंध में अग्रवाल ने कहा कि एकमात्र प्रयोगशाला से शुरुआत के साथ अब देश में 292 सरकारी और 97 निजी लैब में आरटी-पीसीआर जांच उपलब्ध है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘बुधवार को 58,686 नमूनों की जांच की गयी और यदि आप पिछले पांच दिन में हर दिन की जांच के औसत पर नजर डालें तो यह 49,800 जांच होती हैं। यह समझना महत्वपूर्ण है कि जितनी भी क्षमता की जरूरत है, हमने उसे उत्तरोत्तर बढ़ाया है।’’

कोरोना वायरस के इलाज में एंटीवायरल दवा रेमडेसिविर की भूमिका के संबंध में अग्रवाल ने कहा कि यह उन चिकित्सा प्रोटोकॉल में से एक है जिनकी दुनियाभर में पड़ताल हो रही है। उन्होंने यह बात दोहराई कि इस जानलेवा बीमारी के लिए कोई निर्धारित उपचार प्रोटोकॉल नहीं है

दवाएं बनाने के सवाल पर संयुक्त सचिव ने कहा कि सरकार के अनेक संस्थान कोविड-19 के लिए विभिन्न टीका परीक्षणों के मामले में समन्वय के साथ काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सॉलिडरिटी ट्रायल के साथ भी साझेदारी की है।

अग्रवाल ने कहा, ‘‘इस प्रक्रिया में समय लगेगा और मनुष्य पर टीके के प्रभाव एवं सुरक्षा संबंधी परीक्षण के विभिन्न स्तर हैं। शुरुआत में हमारे पास रोग निरोधक उपचार के तौर पर हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन है।’’

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