बिहार के समस्तीपुर (Samastipur) में एक जेडीयू कार्यकर्ता (JDU Worker) की हत्या कर दफनाने का मामला सामने आया है. चार दिन से लापता चल रहे जेडीयू कार्यकर्ता मो. खलील आलम उर्फ रिजवी का शव मुसरीघरारी थाना की पुलिस ने शुक्रवार, 18 फरवरी की रात कल्याणपुर थाना क्षेत्र के बूढ़ी गंडक नदी के ढाब इलाके से बरामद किया. पुलिस शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजने के बाद मामले की छानबीन में जुट गई है.
क्या है पूरा मामला?
घटना के संबंध में मृतक के भाई मो. सितारे ने बताया है कि बीते 16 फरवरी को 11 बजे खलील आलम अपने घर से निकला था. इस दौरान उनकी पत्नी ने जब उसे फोन किया तो किसी अनजान आदमी की आवाज आई कि खलील के एकाउंट से पैसा निकाल कर लाओं. इसने हमसे पांच लाख रुपए कर्जा लिया था. पैसा लाओ नहीं तो इसकी किडनी बेच देंगे या जान से मार देंगे.
मृतक कार्यकर्त्ता के भाई के अनुसार फिर दूसरी बार 17 फरवरी को साढ़े आठ बजे के आसपास फोन आया और बताया गया कि खलील आलम ने 3 लाख 75 हजार रुपए का कर्ज लिया था. इसके तुरंत बाद साढ़े नौ बजे के आसपास भी पैसों के लिए फोन आया.
परिवार ने इसके बाद थाने में शिकायत दर्ज कराई. पुलिस मोबाइल लोकेशन के आधार पर छापा मारते हुए कल्याणपुर थाना क्षेत्र के पास बूढ़ी गंडक नदी के ढाब में पहुंची जहां एक पोल्ट्री फार्म के पास पांच फीट गड्ढे में नमक डालकर शव को छुपाया गया था.
नौकरी दिलाने के नाम पर मृतक ने लिया था पैसा ? उठ रहें सवाल
दूसरी तरफ सदर डीएसपी सेहबान हबीब फाखरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि "मुसरीघरारी थाना क्षेत्र के मो. सितारे ने अपने भाई के लापता होने का एक आवेदन दिया था. इस संबंध में केस दर्ज कर जांच की जा रही थी. इस दौरान मानवीय और तकनीकी आसूचना के आधार पर एक संदिग्ध को हिरासत में लेकर पूछताछ की गयी.
संदिग्ध ने बताया कि वादी के भाई (खलील आलम) ने उससे और उसके 2 अन्य साथियों से नौकरी दिलाने के नाम पर 3 लाख 70 हजार रूपये लिए थे. वही लोग खलील आलम को लेकर पोल्ट्री फार्म ले गए और मारपीट की, जिसमें उसकी मृत्यु हो गयी. मृत्यु के बाद उन्होंने लाश को वहीं दफना दिया. संदिग्ध की निशानदेही पर शव बरामद किया गया."सेहबान हबीब फाखरी, सदर डीएसपी
मालूम हो कि मृतक जेडीयू कार्यकर्ता मो. खलील आलम को बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी का करीबी माना जाता था. मृतक के भाई मो. सितारे ने भी मीडिया को बताया कि वो शिक्षा मंत्री के बहुत करीबी थे और उन्हीं के साथ उठना-बैठना था.
(इनपुट- महीप राज)
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)